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    दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुफ्त की योजनाओं के लगे ढेर में से मतदाताओं को चुनना हे एक

       ( महावीर अग्रवाल )
    मंदसौर १ फरवरी ;अभी तक ;   अन्ना हजारे के दिल्ली में आंदोलन के बाद 10 वर्ष पूर्व आम आदमी पार्टी का देश  की राजनीति में उदय हुआ जब वर्षों तक बीजेपी और कांग्रेस ने दिल्ली की जनता की बिजली और पानी की समस्या की और ध्यान नहीं दिया। पहली बार चुनाव मैदान में आप पार्टी और उस ने पर्याप्त बिजली और पानी के साथ ही इनके बिल भी माफ करने की घोषणा की।बस क्या था, दिल्ली की जनता ने इस पार्टी को पलकों पर बिठा लिया लेकिन इस बार 2025 के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आप पार्टी से बढ़कर बीजेपी व कांग्रेस ने भी मुफ्त की योजनाओं की घोषणाओं का मतदाताओं के सम्मुख ढेर लगा दिया।यह कहा जा सकता हे कि अब अरविन्द केजरीवाल का सत्ता तक पहुंचने का रास्ता मुफ्त की योजनाओं के साथ आसान नहीं कहा  जा सकता लेकिन ये मतदाता और ये चुनाव हे भैया।पहले केजरीवाल  को आरोपों का भी सामना नहीं करना पड़ा था। उन्होंने शासन में कई सादगी अपनानेकी कहा  था। उन परशराब कांड में भ्रष्टाचार, मुख्यमंत्री आवास को शीशमहल जैसा बनाने और अन्य कई भ्रष्टाचार के आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है । फिर भी मतदाता मुफ्त की घोषणाओं से किस राजनीतिक  दल की घोषणाओं को अपने लिए ज्यादा लाभप्रद मानते हे यह परिणाम से पता चल सकेगा।
    दिल्ली दूर नहीं ,वाकई में दिल्ली दूर नहीं है। नई दिल्ली भारत की राजधानी है और वही दिल्ली विधानसभा के चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान व 8 फरवरी को परिणाम की घोषणा होने जा रही है। सभी राजनीतिकदलों के वरिष्ठ नेता भी यही उपलब्ध  है और चुनाव भी व यही। मुफ्त की घोषणाओं  के लगे ढेर , इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई गई शैली एक उदाहरण ही नहीं आगे चलकर वह गले की फांस बनेगी या इसे तो वे निकल जाएंगे यह वक्त पर पता चलेगा। दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनाव में अरविंद केजरीवाल की मुफ्त की योजनाओं के सामने कोई मुकाबले में नहीं था लेकिन 2025 के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मुफ्त की योजनाओं की राजनीतिकदलों की गठरिया भरी पड़ी है जिसकी जो मर्जी हो उठा लो। आगे इससे राजनीतिक दलों की नींद उड़ेगी या नई खोज नागरिकों को देखने को मिलेगी वक्त पर पता चलेगा।
    दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर प्रमुख राजनीतिक दल आप, बीजेपी, कांग्रेस , एनसीपी,बीएसपी के अलावा कुल 699 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं ।पिछले चुनाव में आपने 70 में से 62 सीटे जीत कर एक रिकॉर्ड बनाया था जबकि भाजपा मात्र 8 सीटों पर सिमटकर रह गई थी ।पिछले दो चुनाव में आप पार्टी ने दिल्ली के लोगों की बिजली, पानी की समस्या को हाथों हाथ लिया लेकिन भाजपा,कांग्रेस तो समझ ही नहीं पाई बल्कि इस समस्या को वह अपनेतरीके से समझ कर देखा अनदेखा करते रहे । दिल्ली के मतदाताओं ने फिर भी अपनी परिपक्वता का परिचय विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अंतर समझ कर दिया। आप पार्टी के बिजली पानी की समस्या से दिल्ली के लोगों को थोड़ी तो रहता तो मिली होगी। भाजपा कांग्रेस ने भी देख लिया कि इस राहत से सरकार का दीवाला थोड़ी निकल गया।
    आगामी 5 फरवरी 2025 को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान में एक करोड़ 55 लाख से अधिक मतदाता है जो अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे इनमें पुरुष 83.49 लाख व महिला 71.74 लाख तथा मतदाता 22.89 लाख । पहली बार मतदान करने जा रहे 2.08 लाख युवा मतदाता है 100 साल से ऊपर के मतदाता 830 है। 13000 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं ।आप व कांग्रेस ने 70- 70 उम्मीदवार जबकि भाजपा ने 68 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। एनसीपी ने 30 उम्मीदवार और नई दिल्ली सीट ऐसी है जहां से सर्वाधिक 23 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं 1993 के बाद दिल्ली में भाजपा सत्ता में नहीं आई है ।कांग्रेस के लिए तो दिल्ली के राजनीति का मैदान सूखा के समान है। उसमें कांग्रेस की कड़ी मेहनत कर पुनः सत्ता के लिए प्रयास कर रही है। चुनाव मैदान में वह भी डटे हैं जिन्होंने अपराधी के व गंभीर आपराधिक मामलों को लेकर जानकारी दी है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 50% से अधिक मत मिले थे लेकिन फिर भी दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी हारी लेकिन बीजेपी ने हार पर मंथन नहीं किया।
    भाजपा व कांग्रेस का सबक तो सामने नहीं आया लेकिन एनडीटीवी वह सीएसडीएस द्वारा 24 मार्च 2023 को किए गए सर्वे की रिपोर्ट सामने आई उसके अनुसार मुफ्त बिजली पानी को 57 फ़ीसदी लोगों ने गरीबों के लिए जरूरी बताया वही 30 लोगों ने इसे इकोनॉमी पर बोझ माना है। केजरीवाल ने उस समय दिल्ली के लोगों की समस्या को समझ व उसे हाथों हाथ लिया और वहां के लोगों ने भी उन्हें सत्ता के लिए बहुमत प्रदान कर पलकों पर बिठा लिया लेकिन 2025 का विधानसभा चुनाव कोई आसान नहीं दिख रहा है ।इसमें आम आदमी पार्टी की तरह भाजपा व कांग्रेस भी मुफ्त की योजनाओं की संदूकें भरकर मतदाताओं के सामने रख मतदाताओं को कौन से राजनीतिक दल की मुफ्त की योजनाओं से बड़ी संदूक अच्छी लगती है ।किसका भारी वजन है। वह परिणाम उस समय पता चलेगा लेकिन एक बात स्पष्ट है अबकी बार मुफ्त की योजना एक ही राजनीतिक दल की नहीं है और बीजेपी  वो कांग्रेस की भी भरी पड़ी है। जरा खोलकर तो देखो परिणाम पर पता चल सकेगा।