सिद्धार्थ पांडेय
जबलपुर ७ फरवरी ;अभी तक ; पदोन्नति के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेष का परिपालन नही किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस ए के सिंह को बताया गया कि पदोन्नति की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की दूसरी एकलपीठ ने रोक लगा दी है। जस्टिस ए के सिंह की एकलपीठ ने रोक को बरकरार रखते हुए दोनों याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से करने के आदेष जारी किये है।
नगर निगम जबलपुर में कार्यरत कालू राम सोलंकी तथा संतोष कुमार गौर की तरफ से दायर की गयी अवमानना याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य स्वच्छता निरीक्षक के रिक्त पदो ंके लिए 45 दिनों में विभागीय पदोन्नति समिति का गठन कर वरिष्ठ सूची के आधार पर पदोन्नति प्रदान करने के आदेष जारी किए थे। आदेष का पालन नहीं होने के कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी है।
इंटर विनर पोले राव सहित अन्य तरफ से दायर आवेदन में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने खुद को स्वच्छता निरीक्षक बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए डीपीसी का गठन कर पदोन्नति प्रदान करने के आदेष पारित किये गये थे। याचिका में उन्होंने खुद को वरिष्ठता सूची में पहले व दूसरे स्थान पर बताया था। वास्तविकता में उन्हें जूनियर स्वच्छता निरीक्षक पद पर नियुक्ति प्रदान की गयी थी। नगर निगम एक्ट में जूनियर स्वच्छता निरीक्षक को स्वच्छता निरीक्षक पद पर पदोन्नति प्रदान का प्रावधान नहीं है। उन्हें गलत तरीके से पदोन्नति प्रदान की गयी थी। नगर निगम एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए डीपीसी के माध्यम से उन्हें मुख्य स्वच्छता निरीक्षक बनाने की साजिश की जा रही थी। जिसके खिलाफ उन्होने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीपीसी की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेष जारी किये। इंटर विनर की तरफ से अधिवक्ता कबीर पॉल ने पैरवी की।