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    नगर पालिका परिषद वारासिवनी द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिये खरीदी गई भूमि में हुआ घोटाला

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट ७ फरवरी ;अभी तक ;  जिले की नगर पालिका परिषद वारासिवनी द्वारा लगभग 6 करोड़ रुपये लागत की शासन से स्वीकृत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिये चंदन नदी के तट से लगी भूमि खरीदी गई है। खरीदी गई उक्त भूमि मौजा सिवनी पटवारी हल्का नंबर 26/2/28 रा.नि.मं. जो खसरा नंबर 166/1,167/1,168/1,170/1 में से रकबा 0.065 हेंक्टर 6994 वर्ग फीट भूमि है।

    इस भूमि को भूस्वामी मयूर सेंदरे पिता झनकलाल सेंदरे निवासी वार्ड नं.9 वारासिवनी से दिशा डेहरिया पिता सुखराम डेहरिया मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद वारासिवनी द्वारा दिनांक 23/08/2024 को 23 लाख 70 हजार 966 रूपये में खरीदी है जिसका कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार मूल्य 14 लाख 30 हजार रुपये होना बताया गया है।

    पंजीयन प्रमाण पत्र में दर्शाए गये चतुर सीमा एवं पटवारी नक्शा के अनुसार उक्त भूमि चंदन नदी की सीमा से लगी हुई है तथा अधिकतम बाढ़ क्षेत्र की सीमा के अंतर्गत आती है। लेकिन नदी के समीप होने का कोई उल्लेख नही है।

    मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जारी किये गये निर्देश के अनुसार नर्मदा नदी में 300 मीटर एवं सामान्य नदी में 100 मीटर की सीमा को ग्रीन बेल्ट एरिया घोषित किया गया है जिसमें किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता।

    राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार नदी तालाब तथा झीलों के क्षेत्र में अधिकतम बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र से 33 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य किये जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस संबंध में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को विधिवत अवगत कराते हुए निर्देशों का परिपालन सुनिश्चित करने के आदेश दिये जा चुके है।

    माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न प्रकरणों में जारी किये गये निर्देशों के अनुसार नदी के दोनों किनारों से 200 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रतिबंधित किया गया है तथा इसे सुरक्षित क्षेत्र निरूपित किया गया है।

    केंद्रीय शासन के पर्यावरण वन्य एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा 28 सितंबर 2017 को जारी अधिसूचना जिसका प्रकाशन भारत शासन के राजपत्र में दिनांक 26 सितंबर 2017 को किया गया है उक्त राजपत्र की कंडिका 4 में आर्द्रभूमियों के क्रियाकलापों पर निर्बधन के क्रमांक 1 में आर्द्रभूमि का संरक्षण और प्रबंध के संबंध में उल्लेख किया गया है की आर्द्रभूमि के भीतर इन क्रियाकलापों को प्रतिसिद्ध किया जायेगा जिसमें 1-किसी भी किस्म के अतिक्रमण सहित गैर-आर्द्रभूमि उपयोग हेतु परिवर्तन।
    2-किसी भी उद्योग को स्थापित करना और विद्यमान उद्योगों का विस्तार करना।
    3-ठोस अपशिष्ट का पाटन उद्योगों शहरों कस्बों गांव और अन्य मानव बस्तियों से अशोघित अपशिष्ट और बहिस्त्रावों का निस्सारण
    4-किसी स्थायी प्रकृति का किसी निर्माण सिवाय नाव घाटों के पचास मीटर के भीतर इन नियमों के प्रारंभ की तारीख से पिछले दस वर्षों में प्रेक्षित बाढ़ के औसतन स्तर से गणना की जाएगी।
    इस प्रकार नगर पालिका परिषद वारासिवनी,मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने विक्रेता मयूर सेंदरे से ऐसी भूमि खरीदी है जो नदी के समीप अधिकतम बाढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आती है वही मयूर सेंदरे नगर पालिका परिषद का स्थाई कर्मी है जिससे कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर लगभग 10 लाख रुपये अधिक में भूमि खरीद कर नगर पालिका एवं शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है।

    इस खरीद बिक्री में माननीय सुप्रीम कोर्ट,उच्च न्यायालय जबलपुर,राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के केन्द्रीय बेंच भोपाल के द्वारा जारी किये गये निर्देशों के उल्लंघन किये जाने की स्थिति में जिम्मेदारों पर विधिसंगत कार्यवाही किया जाना शासन एवं जनहित में आवश्यक प्रतीत होता है। इस भूमि के खरीदी बिक्री की प्रक्रिया की जांच कराई जाए एवं नगर पालिका परिषद एवं शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने में संलग्न कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाये।

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