दीपक शर्मा
पन्ना ४ फरवरी ;अभी तक ; न्यायालय में झूठे ब्यान देने के मामले में द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र मेश्राम की न्यायालय द्वारा आरोपी को पांच वर्ष की सजा तथा जुर्मना से दण्डित किया है।
मामले के संबंध में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ऋषिकांत द्विवेदी ने बताया कि मामल इस प्रकार है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के प्रथम अतिरिक्त न्यायाधीश पन्ना के सत्र प्रकरण क्र.-5/2018 म.प्र. राज्य विरुद्ध जगपाल सिंह व अन्य अंतर्गत धारा-394 सहपठित धारा-34 एवं धारा-25(1-बी)ए आयुध अधिनियम का आरोप विचाराधीन था, जिसमें दिनांक 20.02.2020 को न्यायालय में अभियुक्त के न्यायालयीन कथन लेखबद्ध किए गए, जिसमें आरोपी द्वारा आरोपीगण को पहचानना व्यक्त किया और घटना दिनांक 17.10.2017 को अमानगंज में देशी दारू की दुकान में सैल्समैन के पद पर काम करना बताया था तथा रात 10 बजे उक्त प्रकरण के अभियुक्तगण द्वारा एक सफेद कलर की आई.-20 कार से आकर कट्टा अड़ाकर बैग में से 20,000 रूपये, आधारकार्ड, मोबाइल और काउंटर पर विक्रय के 25,000 रूपये अभियुक्त जगपाल सिंह, दद्दू राजा एवं ऋषि राजा ने मारपीट कर पैसे छीन ले गये तथा मारपीट की गई।
उक्त दिनांक को प्रतिपरीक्षा पूर्ण नहीं हो पायी और आरोपी का प्रतिपरीक्षण स्थगित किया गया। न्यायालय में दिनांक 04.04.2022 को पुनः शपथ दिलाकर आरोपी का प्रतिपरीक्षण प्रारंभ किया गया तो आरोपी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कडिका-8 में आरोपीगण को नहीं पहचानना और और आरोपीगण को पूर्व में नहीं देखना व्यक्त किया है। न्यायालय द्वारा दिनांक 08.05.2022 को निर्णय घोषित किया गया जिसके अनुसार आरोपी रवि कुमार के विरूद्ध मिथ्या साक्ष्य देने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पन्ना के न्यायालय में परिवाद पत्र प्रेषित करने हेतु निर्देशित किया गया जिसके अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पन्ना के न्यायालय में परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पन्ना द्वारा आरोपी के विरूद्ध धारा-340, 344 द.प्र.स. एवं धारा-193, 195 भा०द०वि० के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पन्ना द्वारा प्रकरण अन्नयतः सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होने के कारण दिनांक 08.08.2023 को माननीय सत्र न्यायालय पन्ना को विचारण हेतु सुपुर्द किया गया।
माननीय न्यायालय श्रीमान सुरेन्द्र मेश्राम, द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पन्ना के न्यायालय मे प्रकरण का विचारण हुआ। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक लक्ष्मी नारायण द्विवेदी द्वारा की गयी। अभियोजन द्वारा साक्ष्य को क्रमबद्ध तरीके से लेखबद्ध कराकर न्यायालय के समक्ष आरोपी- रविन्द्र कुमार उर्फ रवि प्रजापति के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित किया तथा आरोपी के कृत्य को गंभीरतम श्रेणी का मानते हुये कठोर से कठोरतम दंड से दंडित किया जाने का अनुरोध किया। अभिलेख पर आई साक्ष्य और अभियोजन के तर्को एवं न्यायिक दृष्टांतो से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी- रविन्द्र कुमार उर्फ रवि प्रजापति को धारा-195 भादंसं. में 05 वर्ष के कठिन कारावास एवं 1,000 हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।