महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १६ अप्रैल ;अभी तक ; श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बही पार्श्वनाथ चौपाटी पर 16 तारीख से प्रारंभ हुआ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य एवं बाल ब्रह्मचारी की संजय भैयाजी मुरैना के निर्देशन में आयोजित हो रहा है। महोत्सव के प्रथम दिवस प्रातः सामूहिक अभिषेक व शांतिधारा हुई। पश्चात् गर्भकल्याणक महोत्सव मनाया गया।
शांतिधारा का लाभ सुश्राविका श्रीमती सुधादेवी राजेश जैन इन्दौर, विजयेन्द्र सेठी मंदसौर, देवेन्द्र कुमार जैन अंकलेश्वर, राजमल जैन कोटा व प्रकाशचन्द्र पहाड़िया मंदसौर ने लिया। मुनिश्री चिन्तनसागर जी महाराज ने शांतिधारा करवाई। आचार्यसंघ के सानिध्य में सभी मांगलिक क्रियाएं आयोजित हुई ।
श्री त्रिलोकचन्द सौरभ छाबड़ा परिवार आरसीएम ग्रुप भीलवाड़ा द्वारा ध्वजारोहण किया गया। श्री घीसालाल ताराचंद सोगाणी परिवार नीमच ने मण्डप उद्घाटन कर्ता के रूप में सौभाग्य अर्जित किया। याग मण्डल विधान की सामूहिक पूजन की गई।
मंगल कार्यों के पश्चात विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री वर्धमानसागरजी महाराज ने दिव्य देशना में कहा कि प्रत्येक जीव गर्भ में आता ही है परन्तु गर्भ कल्याणक महोत्सव तीर्थंकरों का ही मनाया जाता है, क्योंकि तीर्थंकर भगवान बनने वाले जीव अंतिम बार गर्भ में आते हैं, उसके बाद वे संसार भ्रमण से परिमुक्त होकर सिद्ध शिला पर विराजमान हो जाते हैं व अनंत सुख व आनंद में मग्न रहते हैं। आचार्यश्री ने कहा हम उदात्त भावों के साथ पंचकल्याणक महोत्सव में भाग लें ताकि हमारा संसार परिभ्रमण का नाश हो और अनंत काल तक शाश्वत आनंद प्राप्त करते रहें। इस अवसर पर महोत्सव समिति अध्यक्ष श्री शांतिलाल बड़जात्या ने मंगल क्रियाओं के लाभार्थी श्री त्रिलोकचंद छाबडा व जंबु कुमार सोगाणी का स्वागत किया।
दोपहर में सभी चौबीस माता की गोदभराई का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। विशाल मंच पर चौबीस माता पिता के आसन लगाकर बैठाया गया। पंचकल्याणक महोत्सव समिति व माता के परिवारजनों ने सभी माताओं को वस्त्र आभूषण फल मिष्ठान्न आदि भेंट करके तीर्थंकर की माताओं से आर्शीवाद प्राप्त किया। बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालुगण महोत्सव में पहुंचे जिनमें जयपुर, आगरा उदयपुर, भीलवाड़ा, पाण्डीचेरी, नागपुर, इंदौर बड़नगर, सुसनेर, इकलेरा, मुम्बई, अंकलेश्वर, मंदसौर, नीमच, कोटा आदि नगरों के श्रद्धालु शामिल थे।
गोदभराई कार्यक्रम में प्रारंभ में मंगलनृत्य डॉ. चंदा कोठारी ने प्रस्तुत किया। गरिमा, जिताक्षा, अनामिका, मुस्कान आदि ने माताओं की स्तुति में प्रस्तुतियां दी। पिपलियामंडी महिला मण्डल ने सामूहिक नृत्य किया। ब्रह्मचारिणी रीता दीदी, अर्पणा दीदी, बसंती दीदी, कल्पना दीदी, राजुल दीदी, उर्मिला दीदी ने मंत्रोच्चार के साथ माताओं की गोद भराई की क्रियाएं सम्पन्न की। अष्टकुमारी देवियों के माता की सेवा की।
महोत्सव की मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया कि आज 17 अप्रैल को प्रातः बेला में 211 भगवान का जन्मकल्याणक मनाया जाएगा। प्रातः 6 बजे से जाप अभिषेक, शांतिधारा पूजन, सौधर्म इन्द्र व शचि इन्द्राणि द्वारा तीर्थकर बालक के दर्शन, ऐरावत हाथी पर ले जाकर बालक का पाण्डुकशिला पर अभिषेक,प्रातः 9 बजे जन्मकल्याणक जुलुस, शाम 7 बजे, महाआरती पालना व बालक्रिड़ा आदि कार्यक्रम होंगे।