(रमेशचन्द्र चन्द्रे)
मंदसौर २३ मई ;अभी तक ; भीष्म पितामह ने द्रौपदी के चीर हरण का विरोध नहीं करने का कारण बताया था कि उन्होंने कौरवों को अन्न खाया था, जिससे उनका विवेक कमजोर हो गया था। पर एक उत्तर में, यह भी कहा गया है कि भीष्म ने उस समय अपना धर्म निभाया, जो उन्हें राजा की सेवा करने के लिए बाध्य करता था, चाहे वह कोई भी हो।
भीष्म पितामह ने बताया था कि उन्होंने कौरवों का अन्न खाया था, जिससे उनका विवेक और सही-गलत का बोध कमजोर हो गया था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कौरवों का अन्न उनके शरीर में था और उस अन्न के प्रभाव के कारण, वे अन्याय का विरोध करने में असमर्थ थे।
इसलिए यदि भारत के पत्रकार भी यदि सरकार द्वारा अथवा पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर के द्वारा आयोजित भोजन में सम्मिलित होंगे तो उनकी बुद्धि भी प्रभावित हो सकती है? जिनकी नहीं होगी, वह बधाई के पात्र हैं किंतु जिनकी हो जाए उन्हें अपना खुद का मूल्यांकन कर लेना चाहिए।