महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ५ अप्रैल ;अभी तक ; श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चैत्र नवरात्र महोत्सव के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय श्री वामदेवज्योतिर्मठ संस्थान वृन्दावन के अनन्त विभूषित परम पूज्यपाद महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अनन्तदेवगिरीजी महाराज के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन हो रहे है।
स्वामीजी ने नवरात्रि के सप्तम दिवस सत्संग की महिमा पर चर्चा पर कहा कि कोई परिवारजन, समाज के लोग आपको आत्म कल्याण हेतु प्रेरित नहीं करते बल्कि संसार के लिये ही उपदेश देते रहते है। मनुष्य के पास बुद्धि तो बहुत है उसका 10 प्रतिशत भी अपने कल्याण हेतु लगाये तो उसका कल्याण मार्ग प्रशस्त होकर जन्म मृत्यु के प्रवाह से मुक्त हो सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि भरतजी ने प्रयोगराज महाराज से यही वरदान मांगा मेरा बार-बार जन्म हो और हमेशा रामजी से प्रेम बना रहे और रामजी को यह पता न चले कि भरत मुझसे प्रेम करता है, और ना ही संसार के लोग भी यह जान पावे कि भरत श्री रामजी के प्रेमी है। यह है निष्काम कर्म की पराकाष्ठा। जबकि सांसारिक लोग थोड़ा भजन, ध्यान, माला, आरती करते हुए विचार करते है कि भगवान तो जानते ही है, पर दुनिया जाने की हम कितने बड़े भक्त है।
आपने कहा कि अक्सर लोग कहते है वहां एक पुस्तक एक ईश्वर है कही कोई भिन्नता नहीं है किन्तु हमारे यहां कितने ही ग्रंथ, हजारो देवी, देवता एवं इतनी ही प्रकार की उपासना है। सोचिए मनुष्य शरीर की अवस्था बदली है, पल-पल मन के विचार बदलते रहते है। क्या बचपन का आपका व्यवहार, खान पान, साधन आगे आने वाली अवस्था में काम नहीं आ सकते। इस प्रकार मन की स्थिति होती हैै इसी कारण ऋषि मुनियों ने इस प्रकार की व्यवस्था बनाई है। सनातन में सरल से सरल, कठोर से कठोर आराधना को बताया गया है। यही सनातन धर्म की विशेषता है।
इस अवसर पर ट्रस्ट अध्यक्ष जगदीश सेठिया, आर.सी. पांडे, जयप्रकाश गर्ग, रामेश्वर गर्ग, जगदीश गर्ग, अजय मित्तल, प्रदीप देवड़ा, डॉ. प्रमोद गुप्ता, राजेश देवड़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे।