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    ये दुनिया ये महफिल, मेरे काम की नहीं  ; प्रसिद्ध अभिनेता राजकुमार को दीश्रद्धांजलि 

    महावीर अग्रवाल
    मन्दसौर ५ जुलाई ;अभी तक ;   सांस्कृतिक संस्था दशपुर रंगमंच, मंदसौर द्वारा आयोजित एक विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रशंसकों और कलाकारों ने प्रसिद्ध अभिनेता राजकुमार को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह में अभिनेता की फिल्मों से यादगार गीत प्रस्तुत किए गए और उनकी अभिनय क्षमता व संवाद शैली की चर्चा की गई।
    संगीत संध्या का आबिद शाह ने प्रस्तुत की “वो खुशी मिली है” गाकर शुभारंभ किया।  श्याम गुप्ता ने प्रसिद्ध गीत “छू लेने दो नाजुक होठों को” सुनाया। आरक्षक नरेंद्र सागोरे ने भावपूर्ण अंदाज़ में “आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार” गाया। अभय मेहता ने “किस तरह जीते हैं ये लोग बता, दो यारों’’ प्रस्तुत किया।
    सिमरन बेलानी ने मधुर आवाज़ में “आगे भी जाने न तू” पेश किया। सतीश सोनी ने “यह जुल्फ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा” गाया। ललिता मेहता ने “ये दुनिया ये महफिल, मेरे काम की नहीं” की प्रस्तुति दी। राजा सोनी ने पारंपरिक अंदाज़ में “इमली का बूटा बैरी का पेड” पेश किया।
    डॉ. नीलेश नागायच ने “यूँ ही कोई मील गया था सरे राह चलते चलते” शानदार आवाज़ में गाया। अनुराधा त्यागी ने “चलो दिलदार, चलो चांद के पार चलो” गीत के जरिए माहौल को रोमांटिक बनाया।
    कार्यक्रम के दौरान, अभय मेहता ने विशेष रूप से कहा कि राजकुमार न सिर्फ एक शानदार अभिनेता थे, बल्कि उनके डायलॉग डिलीवरी ने दर्शकों को कई दशक तक मंत्रमुग्ध रखा। आपने राजकुमार की अद्वितीय कला और संवाद-कुशलता की जानकारी दी। अंत में सभी कलाकारों और दर्शकों ने मिलकर राजकुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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