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    राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को मंदसौर में अर्पित किए श्रृद्धासुमन दादीजी का जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी-श्री सिसोदिया

    महावीर अग्रवाल
    मंदसौर २२ अप्रैल ;अभी तक ;  प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्ववि़द्यालय की मुख्य प्रशासिका एवं युवा प्रभाग की राष्टीय अध्यक्ष राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को मंदसौर सेवा केन्द्र आत्म कल्याण भवन पर बीके भाई-बहनों समेत गणमान्यजनों से श्रृद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर मंदसौर के पूर्व विधायक एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता यशपालसिंह सिसोदिया, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मदनलाल राठौर, कांग्रेस नेता सोमिल नाहटा, बीके श्यामा, बीके हेमा विशेष रूप से उपस्थित थे।
    दादी रतनमोहिनी को श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए पूर्व विधायक एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता यशपालसिंह सिसोदिया ने कहा कि दादी रतनमोहिनी का जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है। शतायू होने के बाद भी वे लगातार मानवता के लिए समर्पित रहीं। उन्हांेने पूरे विश्व को शांति का संदेश दिया, उनका सेवा, संयम की अनूठी मिसाल रहा है। लगातार 70 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर उन्होंने जोडने का काम किया।
    जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मदनलाल राठौर ने कहा कि दादी ने अपने जीवन काल में हजारों लोगों के जीवन को दिशा दिखाई है, राजयोग के माध्यम से उनके जीवन को खुशहाल बनाया है। अध्यात्मिक जाग्रति के लिए दादीजी द्वारा किए गऐ कार्य सदैव अनुकरणीय रहेंगे।
    कांग्रेस के युवा नेता सोमिल नाहटा ने कहा कि ब्रह्माकुमारी में शांति की अनुभूति होती है। राजयोगी दादी जानकी ने जिस तरह से इस पूरे संस्थान को दिशा दी है वह काबिले तारीफ है।
    बीके श्यामा दीदी ने दादी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1925 में जन्मी दादी 12 वर्ष की उम्र से ही संस्थान से जुड गई थी। अपनी सक्रियता के चलते संस्था के विकास में दादी का विशेष योगदान रहा।
    बीके हेमा दीदी ने कहा कि दादी का जीवन ना केवल बीके भाई -बहनों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए अनुकरणीय है। अध्यात्म और मानवता की सेवा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित किया।
    पत्रकार लोकेश पालीवाल ने कहा कि दादी मानव के रूप में फरिशता थी, शतायु होने के बाद भी वे निरन्तर सक्रिय रहीं, आप आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर थीं. आप सदैव प्रकाश, ज्ञान और करुणा के रूप में याद की जाएंगी।  आपकी जीवन यात्रा सादगी और सेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता में निहित रही. आपकी विनम्रता, धैर्य, विचारों की स्पष्टता हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है।
    श्रृद्धांजलि सभा में शिक्षाविद रमेंशचन्द्र चन्द्रे, वैश्यम महासम्मेलन के अध्यक्ष जगदीशचन्द्र चौधरी, शिक्षाविद प्रदीप भाटी, गायत्री परिवार के सत्येन्द्रसिंह सोम, समाजसेवी राजाराम तंवर, अजिजुल्लाखान ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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