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    Homeप्रदेशशिकारियों के ट्रैप पैड में फंसी मादा तेंदुए रात भर दहाड़ती रही

    शिकारियों के ट्रैप पैड में फंसी मादा तेंदुए रात भर दहाड़ती रही

    आशुतोष पुरोहित
    खरगोन 16 अप्रैल:अभी तक ;ा  मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के कसरावद वन परिक्षेत्र में कल रात फंदे में फंसी एक मादा तेंदुआ रात भर दहाड़ती रही। शिकारियों के ट्रैप पैड में फंसी मादा तेंदुए का आज रेस्क्यू कर लिया गया। वन विभाग ने प्रकरण दर्ज कर आरोपियों की तलाश आरंभ कर दी है।
    खरगोन के वन मंडलाधिकारी रमेश राठौड़ ने बताया कि कसरावद वन परिक्षेत्र के मथराय में कल रात करीब 9:00 बजे तेंदुए के गुर्राने की आवाज आई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना मेनगांव पुलिस स्टेशन को दी। पुलिस बल ने वहां जाकर देखा कि एक मादा तेंदुआ शिकारियों के ट्रैप पैड में फंसी हुई है।
    सूचना मिलने पर तत्काल पहुंची वन विभाग की टीम ने मौके का निरीक्षण किया। वहां पर तीन ट्रैप पैड पाए गए । उन्होंने बताया कि शिकारियों ने रेकी करने के बाद बाकायदा तेंदुए को फसाने के लिए सुव्यवस्थित ट्रैप लगाया था। उन्होंने एक मुर्गा भी वहां बांधा था, मादा तेंदुआ मुर्गा खाने आयी और ट्रैपपैड में फंस गयी।
    उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों और इंदौर स्थित रालामंडल की टीम को घटना के बारे में सूचित किया गया और तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने की परमिशन ली गई। इस बीच रात भर तेंदुआ दहाड़ती रही। रात भर दहाड़ने और ट्रैप से निकलने की कोशिश के चलते करीब तीन वर्ष की मादा तेंदुआ सुबह बुरी तरह थक गयी थी ।
    आज सुबह रालामंडल की टीम ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने के लिए एक शॉट मारा ,वह चूक गया। इसके बाद उसे हिप पर दूसरा शॉट मारा, जिसके चलते वह बेहोश हो गयी। तेंदुए को तत्काल पिंजरे में डाल दिया गया। उन्होंने बताया कि तेंदुए के बाएं पंजे में चोट थी, पशु चिकित्सकों ने उसे उपचारित किया। उन्होंने बताया क्योंकि चोट ज्यादा नहीं थी इसलिए इसे चिड़ियाघर में न भेजते हुए ओंकारेश्वर के जंगलों में छोड़ दिया गया।
    डीएफओ ने बताया कि इस घटना से स्पष्ट है कि शिकारियों का गैंग क्षेत्र में सक्रिय है। उन्होंने संभावना व्यक्त की कि क्षेत्रीय लोग भी शिकारियों से मिले हुए हैं। उन्होंने बताया कि मामले की पड़ताल के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है ।घटना का पी ओ आर जारी कर स्निफर डॉग की मदद से शिकारियों की तलाश आरंभ कर दी गई है।
    उन्होंने बताया कि यदि ग्रामीणों ने सही समय पर सूचना नहीं दी होती तो शिकारी तेंदुए को पीट-पीटकर मार देते।

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