महावीर अग्रवाल
मंदसौर 29 अप्रैल ;अभी तक ; मंदसौर के रहने वाले श्री अनुशील गुप्ता ने मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया। उसके पश्चात इन्होंने कोल्ड स्टोरेज से कैसे लाभ कमाया जा सकता है। इस संबंध में योजना बनाई तथा उस पर अनुसंधान शुरू किया। उद्यानिकी विभाग के माध्यम से इस संबंध में इनको विस्तारित रूप से जानकारी मिली। फिर इन्होंने नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड से संपर्क किया। हॉर्टिकल्चर बोर्ड के माध्यम से इनको कोल्ड स्टोरेज निर्माण के लिए 4 करोड़ 35 लाख रुपए का लोन मिला। जिस पर 1 करोड़ 50 लाख रुपए की सब्सिडी मिली।
कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से ये गाजर की कांट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। जिससे सालाना 50 लाख रुपए का शुद्ध लाभ कमा रहे हैं। कांट्रैक्ट फार्मिंग के अंतर्गत यह आसपास के किसानों को खेतों के लिए गाजर के लिए बीज, दवाई, समय-समय पर सभी टेक्निकल एवं वैज्ञानिक सलाह प्रदान करते हैं। किसान को बारदान भी ये स्वयं ही देते हैं। यहां तक की अच्छे जानकार व्यक्तियों को किसानों के खेत पर भी पहुंचाते हैं। किसानों की समस्या को सुनते हैं तथा खेती में आने वाली समस्याओं का तुरंत समाधान करते हैं। जो किसान इनसे गाजर के बीज लेते हैं और गाजर की खेती करते हैं। उन किसानों से ये स्वयं 8 रुपए किलो के भाव से गाजर खरीद लेते हैं तथा गाजर को कोल्ड स्टोरेज में जमा करते हैं। इस कार्य में 100 किसान इनसे जुड़े हुए हैं तथा 500 से 600 बीघा में गाजर की खेती करते हैं।
कोल्ड स्टोरेज की गाजर को ये मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद आदि शहरों में बेचते हैं। जिससे इनको बहुत ही उचित दाम मिलता है। कोल्ड स्टोरेज में गाजर की कांट्रैक्ट फार्मिंग के साथ-साथ ये चुकंदर, आलू, मेथी, धनिया, चना, सुखी लहसुन, लाल मिर्च इत्यादि तरह-तरह की चीजों को भी स्टोरेज करते हैं। इससे इनको अच्छा खाशा किराया भी प्राप्त होता है।
श्री अनुशील गुप्ता किसानों से कहते हैं कि उन्हें गाजर की खेती करना चाहिए। एक बीघा में 120 से 150 क्विंटल गाजर की पैदावार होती है। अन्य फसलों की तुलना में गाजर की फसल से तीन गुना फायदा होता है। इसके साथ ही खर्चा भी बहुत कम आता है। अतिरिक्त मजदूरों की आवश्यकता भी नहीं होती है।