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    सकल जैन समाज द्वारा आयोजित साप्ताहिक जैनत्व संस्कार शिक्षण बाल शिविर के पाँचवें दिन बच्चों को मिली जीवन को निखारने वाली बहुआयामी शिक्षा

    महावीर अग्रवाल

    मंदसौर १३ जून ;अभी तक ;   सकल जैन समाज द्वारा संचालित साप्ताहिक जैनत्व संस्कार शिक्षण बाल शिविर के पांचवें दिन बच्चों के लिए न सिर्फ ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उनकी प्रतिभा, सोच और आत्मबल को नई दिशा देने वाला भी सिद्ध हुआ।
    सुबह का शुभारंभ नवकार मंत्र की मधुर ध्वनि और सामूहिक प्रार्थना से हुआ, जिससे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया।
    धार्मिक सत्र में बच्चों को जैन धर्म के मूल सिद्धांतों—अहिंसा, संयम, क्षमा और सत्य—की सरल व रोचक कहानियों के माध्यम से सीख दी गई, जिससे उनके कोमल मन में संस्कारों की नींव और गहरी हुई।
    योग प्रशिक्षण ने उन्हें न केवल शारीरिक संतुलन बल्कि आत्मिक शांति और ध्यान का महत्व भी समझाया। प्रशिक्षकों ने आसान अभ्यासों के माध्यम से बच्चों को तन-मन की एकता का अनुभव कराया।
    जुड़ो-कराटे की क्लास में आत्मरक्षा की बुनियादी तकनीकों के साथ साहस, अनुशासन और आत्मविश्वास जैसे गुणों का बीजारोपण किया गया।जिसका प्रशिक्षण सुमित्रा प्रजापत द्वारा दिया गया।दिगम्बर जैन हायर सेकंडरी स्कूल द्वारा आयोजित जुड़ो-कराटे का प्रशिक्षण जैन बच्चों को देना बहुत ही सराहनीय शुरुआत है साथ ही सकल जैन समाज अध्यक्ष शजयकुमार बड़जात्या, महिला प्रकोष्ठ महामंत्री सारिका बाकलीवाल व शिक्षा मंत्री श्स्मिता कोठारी द्वारा दिगम्बर जैन हायर सेकंडरी स्कूल के एडवाइजर,प्राचार्य स्कूल इंचार्ज व शिक्षकगणों का स्वागत किया गया।
    मस्ती की पाठशाला मै आर्ट एंड क्राफ्ट के रंग-बिरंगे सत्र में बच्चों की कल्पनाओं को उड़ान मिली। बच्चों ने पेपर, रंग, ग्लिटर और रचनात्मकता से सुंदर कलाकृतियाँ बनाई — जिसमें छिपी थी उनकी मासूम सोच और कल्पनाशक्ति की चमक।अंशु श्रीमाल द्वारा बच्चों को आर्ट एंड क्राफ्ट सिखाया गया।
    शिविर का यह दिन वास्तव में एक ऐसा जीवंत अनुभव रहा, जहाँ बच्चों ने न केवल सीखा, बल्कि महसूस किया कि जीवन में धर्म, ध्यान, रक्षा और रचना – चारों का समन्वय कितना आवश्यक है।
    सकल जैन समाज की यह पहल भावी पीढ़ी को सिर्फ शिक्षित नहीं, बल्कि संस्कारित और सक्षम बनाने का प्रयास है — जो आज के युग में सच्ची सेवा और समर्पण का प्रतीक है।यह समस्त जानकारी महिला प्रकोष्ठ मीडिया प्रभारी श्रीमती अनिता धींग द्वारा दी गई।
    “जहाँ धर्म है, वहीं दिशा है – और जहाँ संस्कार है, वहीं संबल है।”

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