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    सकल जैन समाज द्वारा आयोजित जैनत्व संस्कार शिक्षण बाल शिविर में सकल जैन समाज  महिला प्रकोष्ठ शक्ति की सशक्त भूमिका — सेवा , प्रेरणा और संस्कार का मिला अनुपम संगम

    महावीर अग्रवाल

    मंदसौर १४ जून ;अभी तक ;   सकल जैन समाज द्वारा आयोजित जैनत्व संस्कार शिक्षण बाल शिविर के दौरान, समाज की महिला प्रकोष्ठ ने अपनी सक्रिय, समर्पित और संगठित सेवाओं से आयोजन को न केवल सफल बनाया, बल्कि उसे एक नई ऊँचाई भी प्रदान की।
    महिला प्रकोष्ठ की महामंत्री सारिका बाकलीवाल , निधि गोधा, स्मिता कोठारी, पुष्पा रांका, अनिता धींग, ललिता मेहता, मेघा डूंगरवाल, सुनीता बंडी, शिल्पा मुराढ़ियां, तनुजा जैन, मनीषा खिंदावत, अल्का जैन , संध्या पंड्या, नम्रता मित्तल, नुपुर पाटनी,  नीता चपरोद, वर्षीता नाहर, किरण रांवका, मधु कड़ावतआदि ने शिविर में सेवा, संचालन और व्यवस्थापन की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उनके स्नेहिल और अनुशासित सहयोग से शिविर का वातावरण शुद्ध, आत्मीय और प्रेरणास्पद बना रहा।सकल जैन समाज के अध्यक्ष जय कुमार बडजात्या ने महिला प्रकोष्ठ की महामंत्री और उनकी पूरी टीम की कार्यशैली देखकर बहुत बहुत अनुमोदना की।
    शिविर की विशेषता रही एक मोटिवेशनल फिल्म का प्रदर्शन श्रीमती आरती जैन द्वारा किया गया,जिसमे जीवन की कठिनाइयों, संघर्षों और आत्मबल से जीतने की प्रेरक कहानी दिखाई गई ।फिल्म ने बच्चों को यह महत्व पूर्ण संदेश दिया कि ” परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो , घबराना नहीं है आत्मविश्वास * और साहस से ही* सच्ची विजय मिलती है। ,”।
    > “जीवन की चुनौतियाँ बाधा नहीं, अवसर हैं — अगर हम हिम्मत, धैर्य और आत्मबल से उनका सामना करें।”
    फिल्म के प्रत्येक दृश्य ने बच्चों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा।कई बच्चों ने कहा कि यह फिल्म उनके लिए एक कहानी नहीं थी बल्कि जीवन का आईना थी। फिल्म के उपरांत संवाद सत्र में प्रशिक्षकों ने बच्चों से बातचित कर उनके अनुभव सुने, जिज्ञासाओं का समाधान किया और जीवन मै सकारात्मक सोच , धैर्य और आत्मबल को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
    – जैनत्व की गहराई तक पहुंचाने वाली सीख
    फिल्म के उपरांत महिला प्रकोष्ठ की सदस्यों द्वारा बच्चों को जैन धर्म के मूल सिद्धांत – अहिंसा, संयम, सत्य और अपरिग्रह की सरल और जीवन से जुड़ी व्याख्या की गई।
    बच्चों को यह समझाया गया कि जैनत्व केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक संयमित और शांतिपूर्ण जीवन जीने की कला है।
    इस सत्र में बच्चों ने न केवल धर्म को जाना, बल्कि जीवन को समझने और जीने की सही दिशा भी पाई।
    “संस्कार, सेवा और शिक्षा – बाल शिविर में महिला शक्ति ने रचा सफलता का संकल्प”
    यह आयोजन समाज के लिए यह संदेश छोड़ गया कि जब धर्म, शिक्षा और प्रेरणा एक साथ मिलते हैं, तो बाल मन केवल सीखता नहीं – वह निखरता और संवरता है।यह समस्त जानकारी महिला प्रकोष्ठ मीडिया प्रभारी श्रीमती अनिता धींग द्वारा दी गई।

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