महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २४ मई ;अभी तक ; भारत ने 27 महिलाओं के सुहाग का बदला ऑपरेशन सिंदूर करके लिया है.ऑपरेशन सिंदूर युद्ध नहीं था हमने किसी राष्ट्र से युद्ध नहीं किया है बल्कि आतंकवादियों एवं आतंकवादियों के आकाओं को नेस्तनाबूद करने के लिए सैनिक कार्यवाही की है. भारत अब 1971 का भारत नहीं रहा है। भारत अब सामरिक रूप से आयुधों से सुसज्जित है. हमारे आकाश शील्ड और ब्रह्मोस मिसाइल किसी भी लक्ष्य को समाप्त करने में बहुत सटीक और सक्षम है.भारतीय सेना ने यह लड़ाई स्वदेशी हथियारों से लड़ी है. चीन और अमेरिका के हथियार तुर्की के ड्रोन सब को भारतीय सेना ने मार गिराया.भारतीय सेना की तीन दिन की कार्यवाही से ही पाकिस्तान घबरा गया और चौथे दिन ही युद्ध विराम के लिए भारत से गुहार लगाई।
उक्त विचार सेवानिवृत कर्नल मनोज बर्मन द्वारा अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत द्वारा आयोजित ऑनलाइन ऑपरेशन सिंदूर परिचर्चा में व्यक्त किये.आपने आगे कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद देश में ऑपरेशन सिंदूर की प्रमाणिकता का नेरेटिव बनाने में सहयोग करें हमारे लिए यही देश की सबसे बड़ी सेवा होगी. आपने आगे कहा कि आज लड़ाई ढाई मोर्चे पर लड़ी जा रही है पहला मोर्चा आतंकियों से दूसरा मोर्चा आतंकियों को पालने वाला पाकिस्तान से है .दोनों मोर्चे पर जवाब भारतीय सेना दे रही है लेकिन लड़ाई का आधा मोर्चा देश के विरोधियों का है जो देश के नेतृत्व का विरोध करने के नाम पर सेना की कार्यवाही के सबूत मांग रहा है।
इस अवसर पर विशेष अतिथि हवलदार मेजर उषा कुमावत ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सेना के शौर्य की गाथा है. आपने कहा कि हम सेवानिवृत्त सैनिक एवं अधिकारी चाहे वह अर्द्ध सैनिक बल के हो अथवा फौज के हो हमें जब भी राष्ट्र की सेवा के लिए बुलाया जाएगा हम राष्ट्र की सेवा के लिए तुरंत सीमा पर जाकर लड़ने के लिए सभी तैयार हैं. इस अवसर आपने ऑपरेशन सिंदूर पर ही अपनी स्वरचित कविता को भी सुनाया।
परिचर्चा में सहभागिता करते हुए प्रांत अध्यक्ष त्रिपुरारि लाल शर्मा ने कहा की इस ऑपरेशन सिंदूर से भारत को कुछ दीर्घकालिक लाभ भी हुए हैं.हमें पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए ‘जलबम’ के नाम से एक नया हथियार प्राप्त हुआ है. भारत ने आकाश शील्ड जो कि भारत ने बनाई उसका प्रैक्टिकल उपयोग करके हमने पाया कि हमारी आकाश शील्ड बहुत सटीक और उत्कृष्ट आयुध हैं इसके उपयोग से लाखों की जान भारत ने बचाई है. पाकिस्तानी मूल के लोग जो कई दशकों से भारत में रह रहे थे उनको बाहर निकालने की योजना क्रियान्वित होने लग गई.भारत द्वारा अब कश्मीर घाटी में स्लीपर सेल को ढूंढ ढूंढ के समाप्त किया जा रहा है.भारत ने अपनी ब्रह्मोस मिसाइल की श्रेष्ठता को विश्व में सिद्ध कर दिया है और इससे अब हमारे आयुधों का निर्यात प्रारंभ होगा वह हमारी आर्थिक व्यवस्था को और अधिक श्रेष्ठ बनाने में योगदान करेगा. चीन के हवाई जहाज और तुर्की के ड्रोन इन दोनों के भी नष्ट करने वाले आयुध भारत में बना लिए हैं इससे उन दोनों राष्ट्रों के आयुध निर्यात पर भी फर्क पड़ेगा.इस ऑपरेशन से हमें यह भी ज्ञात हो गया है कि संकट के समय कौन राष्ट्र हमारा साथ देगा और कौन पाकिस्तान का देगा और कौन हमारा मित्र बनने का दिखावा करता है लेकिन समय आने पर मित्रता नहीं निभाएगा।
इस अवसर पर श्री मनोहर मधुकर जावरा ने साहित्यकारों को ऑपरेशन सिंदूर की विशेषताओं को जन-जनतक तक पहुंचाने का आवाहन किया।
परिचर्चा में श्री सुरेंद्र जैन ने जर्मनी से तो खरगोन से राजकुमार अत्रे, इंदौर से वसीम काजी,झाबुआ से भैरू सिंह चौहान, माखन सिंह खापेड़, अलीराजपुर से हेमेंद्र गुप्ता, खंडवा से हंसा शर्मा,मंदसौर से डॉक्टर उर्मिला तोमर, सुरेंद्र शर्मा,श्रीमती चंद्रकला भावसार,नीमच से ओमप्रकाश चौधरी, अविनाश जोशी, शाजापुर से जितेंद्र देशवाल, योगेश उपाध्याय,बडनगर से प्रमोद पंचोली, सनावद से सुरेश अत्रे, पिपलिया मंडी से सुनील माली,आगर से शरद बसिया, महू से उषा किरण त्रिपाठी, जावरा से डॉक्टर प्रकाश उपाध्याय एवं मनोहर मधुकर ने ने सहभागिता की।
कार्यक्रम की शुरुआत नंदकिशोर राठौर मंदसौर के द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। संचालन मंदसौर के नरेंद्र भावसार ने किया तथा आभार जर्मनी से डॉ सुरेंद्र जैन भारती ने माना।