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    साहित्य महोत्सव से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटी काशी का नाम बड़ा है : विधायक श्री डंग

    महावीर अग्रवाल
    मंदसौर 1 फरवरी ;अभी तक ;   त्रिदिवसीय सीतामऊ साहित्‍य महोत्‍सव का शानदार ज्ञानवर्धक समापन हुआ। महोत्सव का शुभारंभ 30 जनवरी को हुआ था। इन तीन दिवस में सीतामऊ नगरी ने अपनी वैभवशाली संस्कृति का गान किया।  साहित्य, कला एवं दर्शन क्षेत्र से जुड़ी देश की जानी मानी हस्तियों की उपस्थिति में मुख्य आयोजन 30, 31 जनवरी व 1 फरवरी को सीतामऊ में किया गया। इतिहास, साहित्य, कला, पर्यावरण, अन्य सभी क्षेत्र में कार्यरत देश की प्रमुख हस्तियां इसमें शामिल हुई। आयोजन को यादगार बनाने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम में अलग-अलग दिन कई विधाओं से जुड़े रुचिकर कार्यक्रम भी किए गए। इतिहास, साहित्‍य, मुद्राशास्‍त्र, सिक्‍कों की यात्रा, सीतामऊ इतिहास का प्रदर्शन, यशोधर्मन और हूण संघर्ष का चित्रण, पर्यावरण और सभ्यता पर संवाद, संगीतमय शाम इत्‍यादि तरह-तरह के आयोजन हुए। चंबल नद‍ी में सफारी, पक्षियों को देखने के साथ ट्रैकिंग की गई।
                                         तृतीय दिवस महोत्सव की शुरुवात प्रात: 10:30 बजे से श्री कल्ला जी वैदिक विश्वविद्यालय, राजस्थान के संस्थापक डॉ वीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में शक्ति एवं शक्तिपीठ के विषय पर व्‍याख्‍यान के साथ प्रारंभ की गई। महोत्सव के दौरान मालवी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मालवी संगोष्ठी श्री बृजेश जोशी, श्रीमती माया बदेका, श्रीमती यशिता दवे, श्री नरेंद्र त्रिवेदी, श्री नरेंद्र भावसार, श्री नंदकिशोर राठौर, श्रीमती रुपाली, श्री गोपाल बैरागी, श्री बंशीलाल टांक द्वारा आयोजित की गई। संगोष्ठी संस्कार, संस्कृति, लोक संस्कृति पर केंद्रित रही।  पैरामाउंट एकेडमी सीतामऊ के बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किए गए। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं डीन श्री शिव कुमार भनोट द्वारा डॉ. रघुवीर सिंह के ऐतिहासिक योगदान के विषय पर व्‍याख्‍यान दिया। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड लेखिका डॉ.यशस्विनी चंद्रा द्वारा युद्ध में घोड़े विषय पर वर्च्‍यूअल व्याख्यान दिया। कहानी लेखन प्रतियोगिता के तीन विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया। साथ ही मंदसौर की वनस्पतियों और जीवों के प्रकाशन पर पुस्तक के बारे में सीईओ श्री प्रभांशु द्वारा जानकारी दी गई। समापन अवसर पर पूर्व विधायक श्री राधेश्याम पाटीदार, श्री निहालचंद मालवीय, श्री अनील पांडे, नगर परिषद अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष सहित सभी जनप्रतिनिधि,  एसडीएम श्रीमती शिवानी गर्ग, जनपद सीईओ श्री प्रभांशु, जिला अधिकारी, ब्लॉक स्तरीय अधिकारी, बड़ी संख्या में श्रोता, विद्यार्थी, पत्रकार मौजूद थे।
                                        समापन अवसर पर मध्य प्रदेश राज्य विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़ जाति विकास अभिकरण के अध्यक्ष श्री बाबूलाल बंजारा (कैबिनेट मंत्री दर्जा ) द्वारा कहा गया कि, साहित्य महोत्सव से छोटी काशी ने इतिहास रचा है। पहले कपड़े कैसे बनते थे, कैसे उनका परिवहन होता था। इतिहास की विस्तार से जानकारी प्रदान की। एक समय था जब पूरे भारत में बैलगाड़ी से परिवहन होता था और यह परिवहन का काम बंजारा समुदाय के लोग किया करते थे। इतिहास में बंजारा समाज का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
                                   विधायक श्री डंग द्वारा कहा गया कि साहित्य महोत्सव से आज छोटी काशी सीतामऊ का महत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गया है। साहित्यकार, इतिहासकार, पर्यावरणविद से सबको सीखने को मिला। बंजारा समाज का देशभक्ति का इतिहास देखें। उनके जज्बे को देखें। देश के लिए काम नहीं आए तो यह जीवन व्यर्थ हैं, इतिहास उन्हीं को याद करता है, जो जीवन में अच्छा काम करते हैं। इसलिए देश के लिए काम करें, देश सेवा से बड़ा कोई काम नहीं।
    कलेक्टर श्रीमती गर्ग ने साहित्य महोत्सव कार्यक्रम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस वर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की थीम थी, विरासत और विकास। इस थीम को एक रूप और आकार दिया गया। थीम को विरासत से जोड़ा गया। इस तरह की आयोजन हर साल होते रहे, साहित्य वह है जो सबके हित में होता है। तीन दिवसीय महोत्सव के आयोजन का सभी ने लुफ्त उठाया। लोग आपस में जुड़े, यादें लेकर गए। सभी को सीखने का अवसर मिला। अलग-अलग क्षेत्र के विद्वानों से कुछ नया-नया जानने को मिला। सौंदर्य की झलक, इतिहास के अनुभव, सिक्कों से कहानी मिली, पर्यावरण संरक्षण की बातें मिली, तारों और विचारों पर चर्चा मिली। विचारों को नई ऊर्जा और प्रवाह मिली।