महावीर अग्रवाल
मंदसौर 1 फरवरी ;अभी तक ; सीतामऊ महोत्सव के दौरान संयुक्त कलेक्टर राहुल चौहान द्वारा अपने कैमरे में क़ैद किए गए ऐतिहासिक धरोहरों और वन्य प्राणियों के छायाचित्रों की प्रदर्शनी को काफी सराहना मिली। उनकी शौकिया फोटोग्राफी में प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य जीवन और ऐतिहासिक विरासत का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। जिससे दर्शकों को विरासत और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिला। प्रदर्शनी में प्रदर्शित छायाचित्रों को सराहे जाने से यह स्पष्ट होता है कि लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति की सुंदरता को संजोने के प्रति रुचि रखते हैं। ऐसे आयोजन न केवल कला और फोटोग्राफी के महत्व को उजागर करते हैं, बल्कि पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता भी बढ़ाते हैं।
राहुल चौहान शौकिया तौर पर फोटोग्राफी का काम करते हैं और यदा कदा उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते रहते हैं। श्री चौहान बतलाते हैं कि जब यह बात मंदसौर कलेक्टर अदिति गर्ग के संज्ञान में आई तो उन्होंने कहा कि सीतामऊ महोत्सव ऐसे ही कलाकारों को प्रोत्साहित करने का आयोजन है। इसमें आपको जरूर अपने कार्यों को पब्लिक करना चाहिए। इस तरह ये प्रदर्शनी लगाने के काम ने मूर्त रूप धारण किया।संयुक्त कलेक्टर राहुल चौहान द्वारा लिए गए चंबल वैली के छायाचित्रों ने सीतामऊ महोत्सव में दर्शकों का ध्यान खींचा। उनके कैमरे ने चंबल घाटी की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, वहां की वनस्पति, दुर्लभ वन्यजीवों को खूबसूरती से कैद किया। गांधीसागर में चंबल नदी के शांत जल, घाटियों और घने जंगलों की खूबसूरती, रहस्यमयी इतिहास और समृद्ध जैव विविधता को इन छायाचित्रों ने इसकी अनूठी विरासत को जीवंत कर दिया। रॉक पेंटिंग्स (शैल चित्रों) की छवियों ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। ये प्राचीन चित्र चंबल घाटी और उसके आसपास की गुफाओं व चट्टानों पर पाए जाते हैं, जो हजारों साल पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण माने जाते हैं। इनमें शिकार के दृश्य, युद्ध की झलक, पशु-पक्षी, मानव आकृतियाँ और दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल थीं. ये चित्र प्राकृतिक रंगों से बनाए गए हैं, जिनमें गेरुआ, काला, सफेद और पीला प्रमुख हैं।
ये रॉक पेंटिंग्स न केवल प्राचीन मानव सभ्यता की झलक दिखाती हैं, बल्कि इतिहास और कला प्रेमियों के लिए शोध और अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। धर्मराजेश्वर मंदिर के छायाचित्र इस महोत्सव की प्रमुख आकर्षण रहे। इन चित्रों ने मंदिर की ऐतिहासिक भव्यता और प्राकृतिक सौंदर्य को जीवंत कर दिया। यह मंदिर चंबल घाटी के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है और अपनी अद्भुत शिल्पकला व प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।यह मंदिर एकाश्मीय (एक ही चट्टान को काटकर बनाए गए) गुफा मंदिर है, जो भीमबेटका और एलीफेंटा गुफाओं की तरह ही अद्भुत शिल्पकला को दर्शाता है।यहाँ भगवान शिव की शिवलिंग विराजमान है, जिसे भक्त धर्मराजेश्वर महादेव के रूप में पूजते हैं। माना जाता है कि यह मंदिर 5वीं से 6वीं शताब्दी के दौरान गुप्त काल में बनाया गया था।संयुक्त कलेक्टर राहुल चौहान द्वारा ली गई बौद्ध गुफाओं के छायाचित्रों ने इतिहास प्रेमियों को आकर्षित किया। इन तस्वीरों में गुफाओं की अनूठी वास्तुकला, मूर्तिकला और प्राकृतिक सौंदर्य को बारीकी से कैद किया गया, जिससे दर्शकों को बौद्ध संस्कृति और विरासत को करीब से समझने का मौका मिला।