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    सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में गैरवानिकी गतिविधियों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में आवश्यक

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट ११ मई ;अभी तक ;  जिले के वारासिवनी अनुविभागीय राजस्व के लालबर्रा तहसील स्थित सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र को अभयारण्य के रूप में घोषित किये जाने की प्रक्रिया शासन के समक्ष विचाराधीन है।
    इसी संदर्भ में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीएन गोदावर्मन थिरूमुलपाद बनाम भारत संघ एवं अन्य पारित 3 जून 2022 को पारित आदेश के अनुसार किसी भी वनक्षेत्र को अभ्यारण या सेंचुरि घोषित करने हेतु आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये गये जिसके अंतर्गत अभ्यारण या सेंचुरि की सीमा से 1 से 10 किलोमीटर के अंतर्गत इको सेंसेटिव जोन बनाने हेतु निर्देश किया गया है।
    इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में स्थित खदानें,कृषि कार्य एवं सामाजिक कार्य तथा किसी भी प्रकार की गैरवानिकी गतिविधियां पर प्रतिबंधित की गई है।
    यह उल्लेखनीय है की सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र की सीमा से लगे एवं संरक्षित वनभूमि पर खदानों की स्वीकृति प्रदान की गई है जहां खनन कार्य जारी है इसके कारण आमजनों की आवाजाही तथा वाहनों के आने जाने से वन्यप्राणियों की दिनचर्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
    सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र कान्हा एवं पेंच राष्ट्रीय उद्यान के कारीडोर में स्थित है जिसके कारण वन्य प्राणियों की आवाजाही बनी हुई है।
    शिकार एवं अपनी दिनचर्या के चलते वन्य प्राणी रिहायशी इलाकों में पहुंच कर किसानों के पालतू पशुओं का शिकार कर रहे है एवं विगत 4 माह की अवधि में 2 किसानों पर हमला करने के कारण उनकी मौत हो गई।
    इन विसंगतियों के चलते पेंच और कान्हा कॉरिडोर सहित सोनेवानी वन्यप्राणी अनुभव क्षेत्र के आसपास रहने वाली आमजनों में दहशत का वातावरण बना हुआ है।
    यह भी उल्लेखनीय है की सोनेवानी क्षेत्र 3 वन ग्राम बसे हुये है जिसमें लगभग 1000 की आबादी निवासरत है जिन्हें अन्यत्र विस्थापित किये जाने के लिये कलेक्टर बालाघाट द्वारा एक समिति गठित कर विस्थापन की कार्यवाही किये जाने की निर्देश दिये गये है।
    प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा किये जाने के उद्देश्य से एवं आर्थिक गतिविधियों के साथ प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हुये वन संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किये जाने के उद्देश्य से पारित किये गये सुप्रीम कोर्ट के आदेश में वन्यजीव अभ्यारण और उसके आसपास संरक्षित वन क्षेत्र में संचालित खनन गतिविधियों को नियंत्रित करते हुये पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों ईएसजेड को निर्धारित करना शामिल है।
    इस लिहाज से वन्य प्राणियों द्वारा पशुओं और नागरिकों पर किये जाने आक्रमण तथा प्राकृतिक जलवायु संतुलन एवं पर्यावरण संरक्षण करने के उद्देश्य से पेंच,कान्हा कारिडोर एवं सोनेवानी वन्यप्राणी अनुभव क्षेत्र जहां अभ्यारण बनाया जाना प्रस्तावित है वहां माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार वर्तमान परिस्थितियों का आकलन करवाकर इको सेंसेटिव सेंचुरी क्षेत्र घोषित कर गैरवानिकी गतिविधियों पर निर्धारित सीमा क्षेत्र में तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में आवश्यक है।

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