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    Homeप्रदेशसोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में 50 बाघों की मौजूदगी की पुष्टि

    सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में 50 बाघों की मौजूदगी की पुष्टि

    आनंद ताम्रकार
    बालाघाट १७ अप्रैल ;अभी तक ;  जिले के वारासिवनी से कटंगी अनुभाग के अंतर्गत लालबर्रा विकासखंड क्षेत्र में सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र स्थित है लगभग 16 हजार किलोमीटर क्षेत्र में फैले वन क्षेत्र में लगभग 50 बाघों की मौजूदगी आधिकारिक रूप में घोषित की गई इसके अलावा  वन्य प्राणी भी इस वनक्षेत्र में रह रहे है। अनुकूल जलवायु एवं घने जंगलों के कारण वन्य प्राणियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।
                                  शासन के समक्ष वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र को अभ्यारण में परिवर्तित करने का प्रस्ताव खारिज कर दिये जाने के बाद मामला फाइलों तक सीमित होकर रहे गया है। खनिज लांबी और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते सरकार अभ्यारण बनाने का फैसला लेने में संकोच कर रही है।
                              इन्हीं विसंगतियों के चलते सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में 3 गांव सोनेवानी,चिखल्लबाडी तथा नवेगांव स्थित है जहां लगभग 800 के आसपास आबादी निवासरत है। उन्हें अन्यत्र विस्थापित किये जाने की योजना बनाई गई लेकिन आज तक उन्हें विस्थापित नही किये जाने के कारण इस क्षेत्र रह रहे बैगा आदिवासी और अन्य लोग इसी वन्य क्षेत्र में रहने के लिये विवश है।
                             राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कोई ठोस प्रयास विस्थापन किये जाने के लिये नही किये गये बुनियादी सुविधाओं के अभाव में उच्च शिक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ लेने और इलाज करवाने के लिये आदिवासियों को इसी अनुभव क्षेत्र में स्थित जंगल के रास्ते लालबर्रा,वारासिवनी आना पड़ता है।
                              वहीं सफारी के लिए पर्यटक भी नियमित इस क्षेत्र में पहुंचता है लेकिन वन्य प्राणियों के रहवास के समुचित प्रबंध ना होने से किसी भी समय वन्य प्राणियों के द्वारा किसी दुर्घटना अथवा हमला करने के संभावना सदैव बनी रहती है।
    छोटी छोटी बच्चीयों को स्कूल जाने के लिए जंगल से होकर अपनी जान हथेली पर रखकर गुजरना होता है। वही माता पिता के मन में किसी हादसे की आशंका बनी रहती है।
    इस विषम परिस्थिति के प्रति जिला प्रशासन जनप्रतिनिधि और राजनेताओं की अनदेखी समझ से परे है।
    अभी हाल ही में रणथंभौर सवाई माधोपुर अभ्यारण में एक टाइगर ने 7 साल के बच्चे को मार डाला बच्चा अपनी दादी के साथ त्रिनेत्र गणेश के दर्शन कर लौट रहा था इसी दौरान अचानक जंगल से एक टाइगर आया और बच्चे को मुंह में दबोच कर ले गया टाइगर जंगल में काफी देर तक बच्चे की गर्दन पर पंजा रखकर बैठा रहा टाइगर के हमले की इस घटना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया।
    सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में स्थित रमरमा भी एक तीर्थ स्थल और पर्यटन क्षेत्र के रूप में चर्चित है यहां भी पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है। इन विसंगतियों के चलते ऐसी किसी घटना की पुर्नावृत्ति भविष्य में इस वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में कभी भी घटित हो सकती है।
    इस गरज से वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र में रहने वाले ग्रामों का यथाशीघ्र विस्थापन कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाना आवश्यक है एवं वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र को अभ्यारण में परिवर्तित करने का निर्णय भी शीघ्र लिया जाना चाहिए अन्यथा वन्य प्राणियों के रहवासी क्षेत्र में आम लोगों के घुसपैठ के चलते वन्य प्राणी रहवासी क्षेत्रों में पहुंचकर घटना दुर्घटना को कारित कर सकते है।

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