रमेशचन्द्र चन्द्रे
मंदसौर ५ अप्रैल ;अभी तक ; हम सत्ता और राजनीति दोनों छोड़ सकते हैं परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नहीं छोड़ सकते।
उक्त वक्तव्य पं. अटल बिहारी वाजपेई ने दोहरी सदस्यता विषय को लेकर दिया था। वास्तव में घटनाक्रम यह था कि-
इलाहाबाद हाईकोर्ट से चुनाव याचिका में राज नारायण से मुकदमा हारने के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना आवश्यक था। किंतु अपने पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रपति पर अवैधानिक दबाव बनाकर 25 जून 1975 को रात्रि 12 बजे श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की रक्षा करने वाले भारतीय जनसंघ, समाजवादी दल, भारतीय लोक दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अनेक हिंदू संगठनों एवं देश में चलने वाले लोकतांत्रिक संगठनों को भी प्रतिबंधित कर उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया जो 18 से 19 महीने तक देश की विभिन्न जेलों में बंद रहे। इसके बाद 1977 में चुनाव की घोषणा की गई, जो नेता जेलों में बंद थे उसमें कुछ नेताओं को छोड़कर सभी को रिहा कर दिया गया।
उक्त वक्तव्य पं. अटल बिहारी वाजपेई ने दोहरी सदस्यता विषय को लेकर दिया था। वास्तव में घटनाक्रम यह था कि-
इलाहाबाद हाईकोर्ट से चुनाव याचिका में राज नारायण से मुकदमा हारने के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना आवश्यक था। किंतु अपने पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रपति पर अवैधानिक दबाव बनाकर 25 जून 1975 को रात्रि 12 बजे श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की रक्षा करने वाले भारतीय जनसंघ, समाजवादी दल, भारतीय लोक दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अनेक हिंदू संगठनों एवं देश में चलने वाले लोकतांत्रिक संगठनों को भी प्रतिबंधित कर उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया जो 18 से 19 महीने तक देश की विभिन्न जेलों में बंद रहे। इसके बाद 1977 में चुनाव की घोषणा की गई, जो नेता जेलों में बंद थे उसमें कुछ नेताओं को छोड़कर सभी को रिहा कर दिया गया।
आपातकाल के समय के समस्त प्रतिबंधित दलों ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान के कारण एक जाजम पर आकर इंदिरा गांधी के विरुद्ध शंखनाद का निर्णय लिया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए ‘‘जनता पार्टी’’ नामक दल का गठन किया, एकजुट शक्ति होने के कारण परिणाम स्वरूप जनता पार्टी की सरकार बन गई तथा श्रीमती इंदिरा गांधी की पार्टी कांग्रेस बुरी तरह हार गई और 1980 तक यह गठबंधन रहा, किंतु 1977 से 1980 के बीच लगातार लोकदल, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस (ओ), संगठन कांग्रेस के मोरारजी देसाई, मधु लिमए, राजनारायण, जॉर्ज फर्नांडिस एवं मधु दंडवते और मध्यप्रदेश के रघु ठाकुर इत्यादि और इसी जमात में चौधरी चरण सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा एवं जगजीवन राम जैसे लोग भी सदैव ‘‘भारतीय जनसंघ’’ के लोगों पर आपत्तियां लगाते रहे थे और दोहरी सदस्यता अर्थात उस समय की जनता पार्टी का कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध नहीं रखना चाहिए और उसकी शाखा में नहीं जाना चाहिए अन्यथा उन्हें जनता पार्टी में सहन नहीं किया जाएगा। इस विषय को लेकर के विवाद की स्थिति निर्मित कर रहे थे लेकिन पंडित अटल बिहारी वाजपेई ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारी मातृ संस्था है और हमें उसका स्वयंसेवक होने का गर्व है। हम इसके लिए सत्ता और और राजनीति भी छोड़ सकते हैं किंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कदापि नहीं छोड़ सकते। अटल जी के इस बयान के बाद विघटन की स्थिति पैदा हो गई। इस विघटन को रोकने के लिए उस समय के लोकनायक श्री जयप्रकाश नारायण ने अस्पताल से डायलिसिस पर रहते हुए भी बहुत प्रयत्न किए, किंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।
उक्त घटनाक्रम के बाद भारतीय जनसंघ पार्टी ने इनके साथ काम नहीं करने का निर्णय ले लिया। उस समय भी अनेक जनसंघ नेताओं की सोच थी कि अब हमें भारतीय जनसंघ के नाम से ही चुनाव लड़ना चाहिए किंतु अटल बिहारी वाजपेई ने यह कहा कि यदि हम भारतीय जनसंघ के नाम से चुनाव लड़ेंगे तो जनता में यह संदेश जाएगा कि इन्होंने जनता पार्टी तोड़कर जनसंघ को अलग कर लिया है इसलिए अब एक नई पार्टी बनाने की आवश्यकता है और 6 अप्रैल 1980 को ‘‘भारतीय जनता पार्टी’’ की स्थापना की गई जिसमें अटल बिहारी वाजपेई ने अपने प्रथम भाषण में कहा था ‘‘अंधेरा हटेगा सूरज उगेगा और कमल खिलेगा’’ तथा इसी उद्देश्य को लेकर देश में पार्टी के तमाम कार्यकर्ता सक्रिय हो गए किंतु 1984 मे श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या होने से सहानुभूति की लहर के कारण आम चुनाव में भाजपा को केवल 2 सीट मिली इसमें अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए किंतु गुजरात प्रांत के मेहसाणा से ए. के. पटेल एवं आंध्र प्रदेश के हनामकोंडा लोकसभा सीट से चिंटू पटिया जंगा रेड्डी चुनाव जीत गए।
उसके बाद अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में गठबंधन की सरकारे बनी किंतु 2014 में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
हिंदुओं की रक्षा और राष्ट्रवादी सोच को साथ भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा तक अब पूर्ण बहुमत की सरकार बना पाई है और अब हिंदुत्व की रक्षा एवं राष्ट्रवादी सोच के अंतर्गत निर्णय लेती है तो इसमें विरोधियों को आपत्ति नहीं करना चाहिए क्योंकि धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक, एनआरसी, तथा वक्त बोर्ड संशोधन विधेयक जैसे अनेक निर्णय यह राष्ट्रवादी निर्णय भारत राष्ट्र की शक्ति बढ़ाने के लिए ही दिए गए हैं।
आज 6 अप्रैल को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा जिसमें 12 करोड़ से भी अधिक सदस्य संख्या है, का स्थापना दिवस है।
इस अवसर पर अपनी पार्टी के इतिहास, पृष्ठभूमि एवं पार्टी के मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार ही अपने लक्ष्यों पर पार्टी को केंद्रित रहना चाहिए और उसके कार्यकर्ताओं को भी इन लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना चाहिए तभी भारत का विकास होगा।
उसके बाद अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में गठबंधन की सरकारे बनी किंतु 2014 में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
हिंदुओं की रक्षा और राष्ट्रवादी सोच को साथ भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा तक अब पूर्ण बहुमत की सरकार बना पाई है और अब हिंदुत्व की रक्षा एवं राष्ट्रवादी सोच के अंतर्गत निर्णय लेती है तो इसमें विरोधियों को आपत्ति नहीं करना चाहिए क्योंकि धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक, एनआरसी, तथा वक्त बोर्ड संशोधन विधेयक जैसे अनेक निर्णय यह राष्ट्रवादी निर्णय भारत राष्ट्र की शक्ति बढ़ाने के लिए ही दिए गए हैं।
आज 6 अप्रैल को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा जिसमें 12 करोड़ से भी अधिक सदस्य संख्या है, का स्थापना दिवस है।
इस अवसर पर अपनी पार्टी के इतिहास, पृष्ठभूमि एवं पार्टी के मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार ही अपने लक्ष्यों पर पार्टी को केंद्रित रहना चाहिए और उसके कार्यकर्ताओं को भी इन लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना चाहिए तभी भारत का विकास होगा।