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अ.भा. साहित्य परिषद की ग्रीष्म काव्य गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २४ मई ;अभी तक;  अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई द्वारा ग्रीष्म काव्य गोष्ठी का आयोजन लाफ्टर फेम मुन्ना बेटरी, फिल्म स्क्रीन राइटर संजय भारती, लघु फिल्म निर्माण मनीष चौहान शामगढ़, संरक्षक डॉ. उर्मिला तोमर, भारत विकास परिषद के अजय कुमार शर्मा, नरेन्द्रसिंह राणावत, पुलिस आरक्षक नरेन्द्र सागोरे, राजेन्द्र तिवारी, नरेन्द्र भावसार, नंदकिशोर राठौर, नरेन्द्र त्रिवेदी, राजकुमार अग्रवाल, लोकेन्द्र पाण्डे, हेमन्त कुमार पण्ड्या, धु्रव जैन के सानिध्य में हुआ।
                                  इस अवसर पर डॉ. उर्मिला तोमर ने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद साहित्य की सभी विधाओं का संवर्धन कर रही है। निर्वाचन जैसे राष्ट्रीय विषय पर भी मतदान करने के लिये नगर की सभी संस्थाओं के साथ मिलकर मतदान करने की अपील एवं उससे संबंधित स्लोगन कविता आदि का प्रकाशन कर अपने राष्ट्रीय कर्तव्य के प्रति भी सचेत होने का प्रमाण दिया है। राम काव्य पाठ करके संस्था ने तत्कालीन विषयों पर अपनी सक्रियता का परिचय दिया है।
इस अवसर पर नंदकिशोर राठौर ने नवपता के आगमन पर कविता ‘‘सूर्य खेल रहा ताप की पारी, झुलस रही है सृष्टि सारी‘‘ सुनाई।  नरेन्द्र राणावत ने ‘‘ओ बाबूल तेरी बुलबुल आज चली, छोड़ के तेरी फुलवारी’’ को सुनाकर बेटी की विदाई को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘किससे बांधु बैर जगत में, कोई नहीं पराया‘‘ सुनाई।
नरेन्द्र भावसार ने ‘‘ गर्मी के तीखे तेवर, कमरे बने भट्टी, सड़क हुई अंगारा, चड़ा सूरज का पारा‘‘ सुनाकर गर्मी का तेज प्रकट किया। मनीष चौहान शामगढ़ ने 126 दोहे के माध्यम से ‘‘नजर भर देख लो, मैं नजर हो गया’’ को सुनाया। संजय भारती ने अमिताभ बच्चन का डायलॉग ‘‘कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है‘‘ को सुनाया। मुन्ना बेटरी ने अपनी हास्य रचनाओं से सभी को गुदगुदाया।
हेमन्त कुमार पण्डया ने ‘‘महसूस हो रही वो हर धड़कन में, लगता है वो करीब आ रही है’’ सुनाई। वही धु्रुव जैन ने ‘‘ठण्डी हवाएं जब भी मेरे सीने से जाती है‘‘ को सुनाया।
कार्यक्रम में नरेन्द्र सागोरे, लोकेन्द्र पाण्डे, भरत लखानी, नरेन्द्र त्रिवेदी, राजकुमार अग्रवाल, नंदकिशोर राठौर ने गीत प्रस्तुत किये।
नरेन्द्र सागोरे की वैवाहिक तिथि पुनरागमन एवं संजय भारती को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रदान की गई। संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया व आभार नरेन्द्र त्रिवेदी ने माना।

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