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वर्तमान भारत की राजनीति एवं गतिमान राष्ट्रभाषा

डॉ. गुणमाला खिमेसरा
सदस्य – राजभाषा सलाहकार समिति, भारत सरकार, नई दिल्ली
प्रत्येक समृद्धशाली राष्ट्र की कोई एक ही भाषा राष्ट्रभाषा के नाम से जानी जाती है क्योंकि वह भाषा उस राष्ट्र की प्रतीक होती है उसी को उस राष्ट्र के नाम से जाना जाता है। हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रही है। हिन्दी हमारे देश की राजभाषा ही नहीं, हमारी अस्मिता और पहचान की प्रतीक भी है। इन 78 वर्षों में जितना हिन्दी का विकास हुआ, उतना विश्व की किसी भी भाषा का नहीं। हिन्दी हमारे विकास का दस्तावेज है, दुनिया का ऐसा कोई विषय नहीं जो हिन्दी भाषा में उपलब्ध न हो। भारत की भारती यानी हिन्दी भारत के राजनीतिक पटल पर अमिट छाप छोड़ चुकी है। हजारों बाधाओं के बाद भी हिन्दी प्रगति की ओर है।
वर्तमान भारत की राजनीति एवं गतिमान राष्ट्रभाषा –
विश्व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक राज्य भारत बहुभाषा भाषी राज्य है। आज यहाँ लगभग 1653 भाषाऐं बोली जाती है। हिन्दी भाषा देश की आत्मा को अभिव्यक्त करती आ रही है हालांकि राजनीतिक पटल पर भाषागत हितों के टकराव के बादल उमड़ते घुमड़ते रहते हैं लेकिन राष्ट्रीय एकता के आधार पर भारत इन चुनौतियों का सामना कर वैश्विक महाशक्ति बनने को तैयार है। भारत का मूल स्वरूप भी राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक है। वैश्विक स्तर पर अब हिन्दी को नई पहचान मिली है। हिन्दी तीव्रगति से विकासमान भारत की भाषा है जो खेतों खलिहानों से, लोकजीवन की जड़ों से निरन्तर उठती विदेशों में अपने परचम लहरा रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा के कामकाज की भाषा में हिन्दी को अब मान्यता मिल चुकी है। पिछले चार पांच दशकों में विश्व स्तर का साहित्य रचा गया। हिन्दी की एक और विशेषता यह है कि यह जितने राष्ट्रों और जनता द्वारा बोली जाती है, समझी जाती है उतनी संयुक्त राष्ट्र संघ की छः भाषाऐं (चीनी, अंग्रेजी, अरबी, स्पेनिश, फ्रेंच और रूसी) नहीं बोली जाती भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसकी पाँच भाषाऐं विश्व की प्रमुख 16 भाषाओं में शामिल है ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ का भाव हिन्दी में मौजूद है। भौगोलिक आधार पर हिन्दी विश्व भाषा है क्योंकि इसे बोलने और समझने वाले सारे संसार में फैले है। जनतांत्रिक आधार पर हिन्दी विश्व भाषा है क्योंकि उसके बोलने, समझने वाले की संख्या संसार में तीसरे स्थान पर हैं। यदि भारतीय और अप्रवासी भारतीयों (हिन्दी भाषी) को जोड़ दिया जाए तो हिन्दी पहले स्थान पर आकर खड़ी हो जाती है। हिन्दी स्वयं में अपने भीतर एक अन्तर्राष्ट्रीय जगत को छिपाए हुए है। विश्व पटल पर हिन्दी भौगोलिक सीमाओं को पार करके सूचना टेक्नोलॉजी के विभिन्न जनसंचार माध्यमों में घुलने लगी है।
इस प्रकार सरकार, सहकार और सरोकार से हिन्दी का विकास होता गया। यू.एन.जी. में हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने आठ लाख अमेरिकी डालर का योगदान भी दिया। सच तो यह है कि हिन्दी भारत का ‘हाईवे‘ है। आज डिजिटल विश्व में हिन्दी सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाली भाषा बन गई है। गूगल के सर्वेक्षण भी यह सिद्ध करते हैं कि इंटरनेट पर हिन्दी में प्रस्तुत होने वाली सामग्री में पिछले पाँच वर्षों में 94 की दर से बढ़ोतरी हुई है। आज भारत में 82 प्रतिशत लोग हिन्दी समझते हैं। इस समय जो तकनीकी सुविधा अंग्रेजी में उपलब्ध है वह सब हिन्दी में भी उपलब्ध है। फेसबुक, ट्विटर पर हिन्दी सबसे अधिक लोकप्रिय है क्योंकि हिन्दी में अभिव्यक्ति की सरलता है।
आज वैश्वीकरण के मुक्त बाजार व्यवस्था में हिन्दी विदेशों में निरन्तर आगे बढ़ रही है। भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित करने हेतु हिन्दी सीखी जा रही है, हिन्दी विश्व की जरूरत बन गई है क्योंकि वह रोजी-रोटी से जुड़ गई है। राष्ट्रभाषा की ये भी समृद्धि और आत्म निर्भरता है कि हमने हर क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा दिया। आज हमें आवश्यकता है दृढ़ संकल्प की जिससे हमारी भाषा फल फूल सके। हिन्दी दिवस राष्ट्र की मानसिक आजादी का निष्ठा पर्व है। संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर भी कहते है कि जो हिन्दी को स्वीकार नहीं करता, वह भारतीय कहे जाने का अधिकार भी नहीं रखता। हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा है उसे किसी धर्म या संप्रदाय से जोड़ना ठीक नहीं। हिन्दी दिवस के पुनीत अवसर पर हम सब भारतीयों का कर्तव्य है कि हम मनसा वाचा और कर्मणा से हिन्दी को हृदयंगम करें। अस्तु।

गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार, राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी का जयकार।
हिन्दी का जयकार, हिन्द हिन्दी में बोला, देख स्वभाषा-प्रेम, विश्व अचरज में डोला।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी

वर्तमान पता –
8, ज्ञानोदय सीनियर एमआयजी,
महावीर मार्ग, संजीत रोड़, जनता कॉलोनी,
मंदसौर (म.प्र.) पिन नं. – 458001

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