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मोबाइल टावर हटवाने के लिए एक पिता ने 17 साल तक कानूनी केस लडकर अंततः सफलता दर्ज की

मयंक शर्मा

खंडवा ६ दिसंबर ;अभी तक ;   मोबाइल टावर हटवाने के लिए एक पिता 17 साल तक कानूनी केस लडकर अंततः सफलता दर्ज की है। मोबाइल टावर से निकलने वाला कथित रेडिएशन से बच्चों की सेहत बिगाड़ सकता है। इस चिंता को लेकर . उसने टेलिफोन टावर हटवाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर गुरुवार को टावर हटा लिया गया.। यह प्रदेश का खंडवा को पहला मामला है, जिसमें फोटो सत्यापन के आदेश के बाद टावर हटाया गया.।

यह मामला खंडवा का है.। फरियादी याचिकाकर्ता राजेंद्र तिवारी ने 2007 में ब्रज नगर इलाके में मकान बनवाया था. तब उनकी बेटियों की उम्र 9 और 10 साल थी. इसी दौरान उनके पड़ोस में एक खाली प्लॉट पर मोबाइल टावर लग गया। 2008 में उन्होंने टावर हटवाने के लिए कलेक्टर से शिकायत की और 35 आवेदन भी विभागों में दिए। लेकिन कार्रवाही नकारात्मक रही। हताश निराया राजेंद्र ी ने  जबलपुर हाई कोर्ट का रुख किया.। दो बार फैसले उनके पक्ष में आए लेकिन तीसरी बार केस बोर्ड तक नहीं पहुंच पाया।  चैथी बार उन्होंने अवमानना याचिका दायर की, जिसमें हाई कोर्ट ने टावर हटाने और फोटो सत्यापन का आदेश दिया।

भारत में रेडिएशन के मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों से दस गुना ज़्यादा सख््त हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेडिएशन की सीमा 4.5 वॉट प्रति वर्ग मीटर से लेकर 9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है, जबकि भारत में यह 0.45 से 0.9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है। बेहतर फोन कॉल के लिए ज्यादा टावर लगाने की जरूरत पड़ती है.

याचिका कर्ता राजेन्द्र ने याचिका में कहा कि मोबाइल टावर पर हुए व्यापक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रेडिएशन से किसी भी तरह की बीमारी के सबूत अभी तक नहीं मिले हैं. हालांकि तय सीमा से अधिक रेडिएशन होने पर नुकसान होने की आशंका है। अधिक रेडिएशन के इक्का-दुक्का केस ही सामने आए हैं।. 2011 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अध्ययन में यह सामने आया था कि रेडिएशन के कारण दिमाग़ और स्पाइन में एक तरह का कैंसर, ग्लिओमा, पनप सकता है.े।
यह भी बताया कि मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से सिरदर्द, थकान, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, जोड़ों में दर्द के साथ-साथ प्रजनन क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, सिग्नल कम होने या बैटरी लो होने पर भी फोन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. मोबाइल को शर्ट की जेब में रखने से बचें, क्योंकि इससे दिल को नुकसान पहुंच सकता है।

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