वोट का अंतर, जीत का मंतर:5 हजार से कम वोटों से जीती 75% सीटें अगले चुनाव में हारती है कांग्रेस, भाजपा ऐसी 65% सीटें गंवाती है

चुनाव में हार-जीत का अंतर अगले चुनाव में उस सीट के भविष्य का इशारा कर देता है। भास्कर ने मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2008 और 2013 में 5 हजार से कम वोट से जीत-हार वाली सीटें खंगालीं। ऐसी 231 सीटों का विश्लेषण बताता है कि इनमें से 159 (करीब 69%) में अगले चुनाव में विजेता पार्टियां बदल गईं। यानी 2008 में जिस सीट पर कांग्रेस थी, 2013 में वहां भाजपा आ गई या 2013 में यदि ऐसी जिस सीट पर भाजपा थी, तो 2018 में वो कांग्रेस को चली गई।

तीनों राज्यों में भाजपा पांच हजार से कम मार्जिन वाली कुल 143 में से 93 (65%) और कांग्रेस 88 में से 66 (75%) सीटें अगले चुनाव में हारी। वहीं एक हजार से कम मार्जिन वाली कुल 46 सीटों में से 57% (26 सीटें) भाजपा और कांग्रेस ने अगले चुनावों में गंवा दीं। 2018 में तीनों राज्यों में 5 हजार से कम वोट से जीत वाली 99 और एक हजार से कम वाली 21 सीटें थीं, पिछले ट्रेंड मानें तो इनमें से 63% सीटों पर दूसरा दल काबिज हो सकता है।

मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2008 व 2013 के चुनावों में पार्टियों ने 5 हजार वोट से कम मार्जिन वाली 69% सीटें गंवाईं, 2018 में ऐसी 99 सीटें दांव पर

राजस्थान: कुल सीटें- 200; कम मार्जिन वाली 72% सीटें खतरे में
2018 में भाजपा-कांग्रेस की एक हजार से कम वोट मार्जिन वाली कुल 9 सीटें थीं। पिछले दो चुनावों का औसत देखें तो इनमें से 6 (72%) सीटें दूसरी पार्टी छीन सकती है। 5 हजार से कम वोट मार्जिन वाली 31 सीटों में से 16 निकल सकती हैं।
2013 में भाजपा और कांग्रेस 3 सीटों पर 1000 से कम वोट मार्जिन से जीतीं लेकिन 2018 में तीनों (100%) सीटें गंवा बैठीं। दोनों दलों ने 26 सीटें 5 हजार से कम वोट मार्जिन से जीती थीं, लेकिन अगले चुनाव में इनमें से 16 सीटें (62%) नहीं बचा पाईं।
2008 में भाजपा-कांग्रेस 16 सीटों पर एक हजार वोट से कम मार्जिन से जीती थीं, लेकिन ​अगले चुनाव में 7 सीटें (44%) गंवा दीं। 5 हजार से कम मार्जिन वाली 66 सीटों में से 28 सीटें (42%) भी नहीं बचा पाईं।
2008 व 2013 में भाजपा ने 7 सीटें एक हजार से कम मार्जिन से जीतीं। 2018 के चुनाव में इनमें से 2 (29%) हार गई। वहीं, कांग्रेस ने ऐसी 9 में से 8 (89%) सीटें गंवाईं। भाजपा ने 5 हजार से कम मार्जिन वाली 47 में से 29 सीटें हारीं और कांग्रेस की 29 में से 25 सीटें चली गईं।

मप्र: कुल सीटें- 230; यहां 45 में से 33 सीट पर पिछली वाली पार्टी नहीं
दो चुनावों का ट्रेंड मानें तो 2018 में एक हजार से कम वोट मार्जिन वाली 10 सीटों में से 8 पर और 5 हजार से कम मार्जिन वाली 45 में से 33 सीट पर पिछली बार वाली पार्टी सीट गंवा सकती है।
2013 में भाजपा और कांग्रेस 7 सीटों पर 1000 से कम वोट मार्जिन से जीती थीं लेकिन 2018 में दोनों ने इनमें से 6 सीटें (86%) गंवा दीं। इसी तरह, 5 हजार से कम वोट मार्जिन वाली 44 सीटों में से 33 (75%) हाथ से​ निकल गई थीं।
2008 में भाजपा व कांग्रेस ने 16 सीटें एक हजार से कम वोट मार्जिन से जीती थीं। 2013 के चुनाव में इनमें से 11 (69%) हार गईं। इसी तरह, 5 हजार से कम वोट मार्जिन वाली 71 में से 43 सीटें (61%) अपने पास कायम नहीं रख पाईं।
2008 और 2013 में भाजपा ने कुल 14 सीटें एक हजार से कम मार्जिन से जीतीं। 2018 के चुनाव में इनमें से 9 (64%) हार गई। वहीं, कांग्रेस ने ऐसी 9 में से 5 (56%) सीटें गंवाईं। भाजपा ने 5 हजार से कम मार्जिन वाली 72 में से 43 सीटें हारीं और कांग्रेस से 43 में से 33 सीटें छिन गईं।

छत्तीसगढ़: कुल सीटें- 90; राज्य की 15 में से 11 सीटें खेल बदल सकती हैं
2018 में एक हजार से कम वोट मार्जिन वाली कुल दो ही सीटें थीं। इनमें एक भाजपा और दूसरी जेसीसी (जे) के पास थीं। हालांकि, 5 हजार से कम वोट मार्जिन वाली 15 सीटें थीं। 2 चुनावों का ट्रेंड कहता है, इनमें से 11 सीटें (73%) जा सकती हैं।
2013 में भी 2 ही सीटें थीं, जिन पर जीत का अंतर 1000 वोट से कम रहा। अगले चुनाव में भाजपा सीट गंवा बैठी, कांग्रेस ने सीट बचा ली। पर 17 सीटें भाजपा-कांग्रेस ने 5 हजार से कम वोट मार्जिन से जीतीं। अगली बार इनमें 12 सीटें (71%) हार गईं।
2008 में भाजपा और कांग्रेस 5 सीटों पर एक हजार से कम अंतर से जीती थीं, अगले चुनाव में दोनों ने इनमें से 2 सीटें (40%) गंवा दीं। 23 सीटों पर 5 हजार से कम वोट मार्जिन था, लेकिन अगले चुनाव में इनमें से 17 सीटें (74%) हारीं।
2008 व 2013 में भाजपा ने 3 सीटें एक हजार से कम मार्जिन से जीतीं। 2018 में इनमें से 2 (67%) हारी। कांग्रेस ने ऐसी चारों सीटें जीतीं। भाजपा ने 5 हजार से कम मार्जिन वाली 24 में से 21 सीटें हारीं, जबकि कांग्रेस ने 16 में से 8 गंवाईं।