‘‘चल मुसाफिर तेरी मंजिल दूर है तो क्या हुआ’’, दशपुर रंगमंच ने सुरों के सरताज मोहम्मद रफी साहब का जन्मदिन मनाया


महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २५ दिसंबर ;अभी तक;  दशपुर रंगमंच द्वारा प्रसिद्ध गायक व सुरों के सरताज मोहम्मद रफी साहब का 99वां जन्मदिन  उनके गाए गीतों के साथ मनाया।
                         कार्यक्रम का आगाज कयामपुर से आए गायक हेमंत भावसार ने ‘‘लागी छूटे ना अब तो सनम’’ से की। उसके पश्चात डिगांव से आए डॉ. हरीश लक्कड़ ने गीत ‘‘चल मुसाफिर तेरी मंजिल दूर है तो क्या हुआ’’ सुनाया। राजकुमार अग्रवाल ने माहौल को रूमानी बनाते हुए ‘‘यह रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी’’ प्रस्तुत किया। फिर आबिद भाई ने मोहम्मद रफी द्वारा गाया गीत जो शादियों की शान होती है ‘‘बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है’’ की शानदार प्रस्तुति दी।
                          डॉ महेश शर्मा ने रफी साहब का दर्द भरा गीत ‘‘कभी खुद पे कभी हालात पर रोना आया गाया‘‘ की प्रस्तुत किया। श्याम गुप्ता ने ‘‘वादिया मेरा दामन रास्ते मेरी बाहे’’ तथा स्वाति रिछावरा ने ‘‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है’’ की प्रस्तुत किया। सिमरन बेलानी ने गीत ‘‘पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना’’। डॉ. निलेश नगायच ने गीत ‘‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया’’ प्रस्तुत किया। हिमांशु वर्मा ने गीत ‘‘वह जब याद आए बहुत याद आए’’ को सुनाया। लोकेंद्र पांडे ने ‘‘तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है’’ प्रस्तुत किया। अभय मेहता ने बेटी की विदाई का गीत गाया ‘‘बाबुल की दुआएं लेती जा जा जा तुझको सुखी संसार मिले’’ की सुमधुर प्रस्तुति। डॉ. ललित बटवाल ने गीत ‘‘जय रघुनंदन जय सियाराम है दुख भंजन तुम्हें प्रणाम’’ तथा डॉ. कमल संगतानी ने गीत गाया चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो’’ की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन अभय मेहता ने किया व आभार ललिता मेहता ने माना।