*शक्ति, भक्ति और विरिक्त का भाव बढ़ाने आए है – आचार्यप्रवर श्री विजयराज जी म.सा*

अरुण त्रिपाठी
रतलाम, 27 जून ;अभी तक;  परम् पूज्य प्रज्ञानिधि युग पुरूष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराज जी म.सा.ने संत एवं साध्वी मंडल के साथ चातुर्मास के लिए नगर में भव्य मंगल प्रवेश किया। प्रवेश जुलूस मोहन बाग से आरंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गाों से होता हुआ जैन स्कूल पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्ततित हो गया। यहां आचार्य श्री ने कहा कि वे रतलाम में शक्ति, भक्ति और विरक्ति का भाव बढ़ाने आए है। यह चातुर्मास अभ्युदय चातुर्मास रहेगा।
                           आचार्यश्री ने रतलाम में 3 दशकों पूर्व हुए अपने चातुर्मास के संस्मरण सुनाए और कहा कि रतलाम में सभी संप्रदायों में प्रेम है। रतलाम की पुण्यधरा पर इस अभ्युदय चातुर्मास में धार्मिक, सामाजिक सभी तरह का अभ्युदय होना चाहिए। उन्होने कहा कि शरीर की कमजोरी ठीक है लेकिन मन कमजोर नहीं होना चाहिए। इसलिए शक्ति का भाव जरूरी है। भक्ति के मार्ग पर सबकों आगे बढ़ना चाहिए। निष्काम भक्ति ही भगवान बनाएगी। उन्होने कहा कि मोक्ष की प्राप्ती के लिए विरक्ति का भाव होना आवश्यक है। चातुर्मास में सबके अंदर यह भाव जागे, यहीं प्रयास रहेगा। धर्मसभा को महासती कनकश्रीजी म.सा., महासती ख्यातिश्रीजी म.सा. ने भी संबोधित किया।
                              आरंभ में श्रीसंघ की ओर से राजकुमारी पिरोदिया, मंदसौर से आई शशि मारू, ब्यावर के अर्पित छाजेड़, बीजापुर की लीलाबेन बरबेटा सहित श्रमण संघ के प्रकाश मूणत, इंदरमल जैन, श्रीसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव भाई मूणत, युवा संघ अध्यक्ष सपन कांकरिया आदि ने भाव व्यक्त किए। धर्मसभा का संचालन विजेंद्र गादिया द्वारा किया गया। धर्मसभा के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया।श्री संघ अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं सचिव दिलीप मूणत ने बताया कि 30 जून तक आचार्य प्रवर के प्रवचन नवकार भवन सिलावटों का वास में होंगे|