प्रदेश

3 करोड़ रुपये मूल्य का 1000 टन गेंहू सड़ा, पशुओं को भी नही खिलाया जा सकता

आनंद ताम्रकार
 बालाघाट १६ सेप्टैंबर ;अभी तक ;  जिले के विभिन्न गोदामों में 3 करोड़ रुपये मूल्य का 1000 टन गेंहू जो लगभग 20 हजार बोरों में भरा है भण्डारित है। उक्त भण्डारित गेहूं कीट प्रकोप एवं मिट्टी धूल मिश्रित है। जो मानव उपभोग के लिए अनुपयोगी है। वहीं पशुओं को भी नही खिलाया जा सकता।
                     इस संबंध में पूछे जाने पर वेयर कारपोरेशन के जिला प्रबंधक श्री रमेश पटले ने बताया की भण्डारित के निपटान हेतु वरिष्ट स्तर पर अवगत कराया जा चुका है।
                             यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 में सीहोर जिले से 1 रेलवे रैंक गेहूं से भरी बालाघाट पहुंचाई गई थी उक्त गेहूं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं में वितरित किया जाना था लेकिन बालाघाट में रैंक के पहुंचने पर नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक ने रेंक से पहुंचे गेहूं की जांच करने पर उसमें मिट्टी कीट प्रकोप एवं फटी बोरियां पाई जाने पर उसकी वास्तविकता से तत्कालीन जिलाधीश श्री दीपक आर्य को अवगत कराया जिसके आधार पर श्री दीपक आर्य ने एक जांच कमेटी बनाई जिसमें खाद्य अधिकारी,नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक, जिला प्रबंधक मार्कफेड तथा वेयर हाउस कारपोरेशन के जिला प्रबंधक को शामिल किया गया था।
                               जांच कमेटी द्वारा रेंक में आया गेहूं की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत कर अवगत कराया की उक्त गेंहु सार्वजनिक वितरण प्रणाली के योग्य नही है। जिसके आधार पर गेहूं को विभिन्न गोदामों में भंडारित कर दिया गया।
                             यह उल्लेखनीय है की रैंक के माध्यम से आया गेहूं सीहोर जिले में वर्ष 2017-18 में खरीदा गया था वहां 2 साल गोदामों में रखे रहने के बाद उसे बालाघाट भेज दिया गया। वही गेंहु अभी भी भण्डारित है। इस तरह खरीदी से लेकर भण्डारित किये जाने एवं खाने के अयोग्य कीट प्रकोपित गेहूं रैंक के जरिये बालाघाट भेजा जाना यह किसी साजिश की ओर संकेत देता है।
                            यह भी आश्चर्य की बात है की जिला प्रशासन के संज्ञान में आने और गेहूं की स्थिति के संबंध में वरिष्ट स्तर पर अवगत कराये जाने के बाद भी आज तक इस संबंध में किसी भी अधिकारी पर ना तो कोई कार्यवाही हुई ना ही इस लापरवाही के लिये किसी को दोषी ठहराया गया।
                          यह जानकारी मिली की भण्डारित गेहूं को अपग्रेड करने के नाम पर उडावनी पखे से डस्ट निकालकर घुन लगा गेहूं  राशन दुकानों में भेजा गया तो  उपभोक्ताओं  ने उसे लेने से इंकार कर दिया था।

Related Articles

Back to top button