जन आन्दोलन से ही बनेगा जल प्रबंधन

दीपक शर्मा

पन्ना, 17 फरवरी , अभीतक

स्वयंसेवी संस्था समर्थन स्थानीय सरकार अर्थात ग्राम सभा के मजबूती से लोकतंत्र की स्थापना पर विश्वास करती है। स्थाय सामुदाय एवं लोगो की क्षमता बढ़ेगी, ज्ञान बढ़ेगा तो व्यावस्था मजबूत होगी। मध्यप्रदेश में पंचायतराज एवं ग्राम स्वाराज अधिनियम के मूल में ग्राम स्वाराज की अवधारण को लोग ही मूर्तरूप एवं विश्वास के साथ अपना सकते है। अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत शसक्त इकाई के रूप में काम कर रही है, सामुदाय की अपेक्षा के अनुरूप पंचायत समय समय पर खरी भी उतरी है, लेकिन सामुदाय का सहयोग आज भी आपेक्षित है। जिले में जल स्रोतो के संरक्षण की मुहिम – संस्था लगातर इस वात के लिये पंचायत एवं ग्राम सभा एवं स्थानीय संगठनो से अपरल कर रही है की अपने पुराने जलस्रोतो को सुरक्षित रखे वे हमारी धरोहर एवं प्यास बुझाने वाले स्रोत है।

परम्परागत धरोहर के साथ विकास की अवधारणा- संस्था की सोच है की हमारी पुरानी संरचनाए जैसे कुऑं, बाउड़ी, झरने ,नदी, तलाब, बीहर, चोपड़ा, हैन्डपम्प जो बन चुके है उसमें हमारी पहचान जुड़ी है उसका संरक्षण सामुदाय एवं पंचायत मिलकर करे। संस्था ने ये पहल 40 ग्रामो में शुरू किया है मामूली रकम सें ही सुधार होने से ग्राम पंचायते भी आगे आ रही है। वाटर वाडी रिपयर से पानी शुद्व मिलेगा, जल स्रोत टिकाउ होगा, बीमारी नही होगी। ग्राम पंचायत दिया, रानीगंजपुरा, जरधोवा, सुन्दरा सहित लगभग 40 ग्रामो मे जल स्रोत के सरंक्षण एवं निरंतरता के लिये ग्राम सभा में प्रसताव डालकर क्रियान्यन चालू कर दिया गया है। जल स्रोतो में जुडी है पूर्वजो की यादे – ग्रामीण कहते है जो कुआं एवं बाबली बनी थी वो किसी न किसी समाज की थी जो पूर्वजो की याद भी दिलाती है उसका सरक्षण करना हमारा स्वयं का दायित्व है। जल धरोहरे हमारी विरासत है, उक्त कार्यक्रम मे समर्थन के कार्यकर्ता आशीष विश्वास, कमल, चाली, जलमित्र लगातर लोगो को समझाते है, पानी के विना हमारा जीवन सूना है, पानी पर हम हमेश आत्म निर्भर रहे है। इसकी सुरक्षा समाज एवं हमलोग मिलकर करेगे।