प्राचार्य की मौत 10 माह बाद हुई आडिट जांच, डीईओ ने निकाल दी रिक्वरी, कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से करें जांच….हाईकोर्ट

आनंद ताम्रकार

बालाघाट 11 जुलाई ;अभी तक;  आडिट जांच के 10 माह पूर्व स्कूल में पदस्थ प्राचार्य की मौत हो गई थी ऑडिट रिपोर्ट में 15 लाख रुपये की अनियमितता पाई गई थी। जिसके लिये किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था।

डीईओ ने बिना जांच किये प्राचार्य को दोषी मानते हुए रिक्वरी के आदेश जारी कर दिये जिसके खिलाफ दायर याचिका को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस श्री जी.एस.अहलूवालिया ने रिक्वरी के आदेश को निरस्त कर दिया।

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है की राशि की गड़बड़ी के संबंध में कलेक्टर स्वयं जांच करें और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करें।

याचिकाकर्ता वीना धुर्वे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था की उनके पति दिलीप कुमार धुर्वे बालाघाट स्थित शासकीय स्कूल में प्राचार्य थे जिनकी मृत्यु 2 फरवरी 2016 को हो गई थी उनकी मौत के लगभग 10 माह बाद 22 नवंबर 2016 को आडिट जांच हुई आडिट जांच में लगभग 15 लाख रूपये की हेराफेरी पाई गई थी। आडिट रिपोर्ट रिपोर्ट में इसके लिये किसी को जिम्मेदार नही ठहराया गया था।

डीईओ बालाघाट ने बिना जांच मृतक प्राचार्य को दोषी करार देते हुये उक्त राशि की रिक्वरी का आदेश जारी कर दिया। याचिका में नियमो का हवाला देते हुये कहा गया था की मृतक व्यक्ति के खिलाफ रिक्वरी का आदेश जारी करना अवैधानिक है।

याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया की आडिट जांच प्राचार्य की मौत के बाद हुई थी डीईओ ने राशि की हेराफेरी के लिए कोई जांच नहीं करवाई जिससे स्पष्ट हो सके की वर्तमान में सेवारत या सेवानिवृत्त व्यक्ति दोषी है या नही। उन्होंने सीधे मृतक व्यक्ति के खिलाफ रिक्वरी के आदेश जारी कर दिये। डीईओ ने किसी भी प्रकार का कारण बताओं नोटिस जारी तक नहीं किया। शासकीय अधिवक्ता ने स्वयं स्वीकार किया है की मृतक व्यक्ति के खिलाफ किसी प्रकार की विभागीय जांच नहीं हो सकती। डीईओ का यह कार्य सराहनीय नहीं है और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।

एकलपीठ ने रिक्वरी के आदेश को निरस्त करते हुए कहा है की गबन की गई राशि के संबंध में कलेक्टर बालाघाट स्वयं जांच करें किसी भी परिस्थिति में जांच किसी अन्य व्यक्ति से ना करवाई जाये।  जांच में दोषी पाए गए व्यक्तियों से गबन राशि की वसूली तथा उनके खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही की जाये।
एकलपीठ ने इसके लिए 6 माह की समय सीमा निर्धारित की है।