संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने चीन द्वारा प्रस्तावित आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर प्रस्ताव को अपनाया
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र में चीन, बोलीविया, मिस्र, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों द्वारा प्रस्तुत असमानता को खत्म करने के संदर्भ में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया गया। इस प्रस्ताव को विकासशील देशों से व्यापक समर्थन मिला, जिसमें 80 देश सह-प्रायोजक के रूप में शामिल हुए। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और स्विट्जरलैंड के अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि छन श्यू ने कहा कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य वैचारिक मतभेदों को पाटना, व्यावहारिक कार्रवाई करना और लाभकारी तंत्र स्थापित करना है। पहला, असमानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर आम सहमति तक पहुंचने के लिए सभी पक्षों को बढ़ावा दें। इसमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों और देशों के भीतर और देशों के बीच असमान संबंध, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, विशेष रूप से निर्णय लेने में विकासशील देशों की प्रतिनिधित्वशीलता और आवाज में सुधार करने से लोगों की भलाई और अधिकारों को बढ़ावा देना शामिल है। दूसरा, क्षमता निर्माण के माध्यम से आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को बढ़ावा देने और संयुक्त रूप से बेहतर जीवन बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने का आह्वान करना है। मानवाधिकार उच्चायुक्त से आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में कार्य को मजबूत करें। तीसरा, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार ज्ञान केंद्र की स्थापना करना ताकि सभी देशों को समान स्तर पर संवाद करने और प्रासंगिक मुद्दों पर एक-दूसरे से सीखने के लिए एक मंच प्रदान किया जा सके। विकासशील देशों ने चीन जैसे प्रायोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों में निवेश बढ़ाने और एक निष्पक्ष व समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण के मजबूत आह्वान का प्रभावी ढंग से जवाब देता है, और बहुपक्षीय मानवाधिकार प्रणाली को फिर से संतुलित करने और फिर से शुरू करने की ऐतिहासिक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मुद्दे के स्वस्थ और दीर्घकालिक विकास के लिए अनुकूल है। वहीं, यूरोपीय संघ, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और अन्य देशों ने चीन के सकारात्मक प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया और सर्वसम्मति में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।