प्रदेश

तालाबों में अतिक्रमण किये जाने के कारण उनके क्षेत्रफल में 50 प्रतिशत कमी आई

आनंद ताम्रकार
बालाघाट 20 जनवरी ;अभी तक; भारत शासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वेटलैंड नियम 2017 लागू किये गये है ये अधिनियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 में आर्द्रभूमि से जुडी परिस्थिति सेवा को मान्यता प्रदान की गई ताकी संविधान के अनुच्छेद 51क, खण्ड 6 में यह उल्लेख किया गया है भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा की वह प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन,झील,नदी तथा वन्य जीव है उनका संरक्षण एवं संवर्धन करें। इन्हीं उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति के लिये आर्द्रभूमि नियम 2017 लागू किया गया है ताकी जल स्रोतों का संरक्षण किया जा सके।
                             मध्यप्रदेश शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा 26 अगस्त 2022 को जारी किये गये संशोधित आदेश में कंडिका 2 में अवगत कराया गया है की वेटलैंड नियम 2017 के अनुपालन में दिनांक 2 जनवरी 2018 को राज्य वेटलैंड प्राधिकरण का गठन किया गया है जिसका 1 फरवरी 2022 की बैठक मे निर्णय लिया गया की प्रदेश के समस्त जिलों में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला वेटलैंड संरक्षण समिति का गठन किया जाये जिसकी अध्यक्षता जिला कलेक्टर करेंगे।
                               जिला स्तरीय समिति में वन मंडल अधिकारी,मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, भू बंदोश्त अधिकारी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संसाधन, नगर तथा ग्राम निवेश, कृषि विभाग, मछली पालन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा नदी तालाब से संबंधित विशेषज्ञों को समाविष्ट किया गया है।
                         यह समिति तालाब के संरक्षण, प्रबंधन के सबंध में सच्छिप्त प्रतिवेदन बनायेगी और जिले के तालाबों के संबंध समस्त जानकारी एकत्र कर डाटा वेस तेयार करेगी। जिसके आधार जिले में चिन्हित तालाबों की पहचान की जा सकेगी।
                      पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण तालाबों की सूची बनायेगी और दीर्घकालीन संरक्षण किये जाने हेतु संबंधित विभागों और हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करेगी।
जिले में भी ऐसे समिति का गठन कलेक्टर बालाघाट की अध्यक्षता में किया गया है लेकिन उक्त समिति के द्वारा अब तक जिले में स्थित महत्वपूर्ण तालाबों को ना तो चिन्हित किया गया है ना ही उनके संरक्षण और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नही किये गये।
                          नतीजतन जिले में स्थित बालाघाट,कटंगी,वारासिवनी,लालबर्रा, बैहर, लांजी सहित अन्य स्थानों में तालाबों में अतिक्रमण किये जाने के कारण उनके क्षेत्रफल में 50 प्रतिशत कमी आ गई है। तालाब की जमीन पर रसूखदारों का कब्जा है।
वारासिवनी तथा कटंगी के तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर 1-1 करोड़ रुपये की राशि विधायक निधि से नगर पालिका को प्राप्त हुई है लेकिन तालाब को सीमाकंन और रकबा सुनिश्चित किये बिना ही तालाब में पक्के निर्माण कार्य किये जा रहे जो आर्द्रभूमि नियम 2017 का खुला उल्लंघन है।
                            इन विसंगतियों के चलते केन्द्र शासन तथा राज्य शासन आर्द्रभूमि को संरक्षण करने के लिये जिला वेटलैंड कमेटी का गठन किया गया है उसके उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति नहीं हो रही है। राज्य शासन के निर्देशों के तहत जिलों में स्थित तालाबों के सीमाकंन करवारकर अतिक्रमण हटाया जाए और उन्हें पूर्ण रकबे में सुरक्षित किया जाये।

Related Articles

Back to top button