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पृथ्वी परिक्रमा में हजारों सुंदरसाथ नें लिया भाग, देश विदेश से शामिल हुए लोग

दीपक शर्मा

पन्ना १५ नवंबर ;अभी तक ;  समूचे विश्व में भारत इकलौता देश है जहाँ सदियों पूर्व बसुधैव कुटुंबकम की उद्घोषणा की गई थी। यह इस देश की खूबसूरती है कि यहाँ पर विविध धर्मावलम्बियों की धार्मिक आस्थाओं व परम्पराओं को न सिर्फ पूरा सम्मान मिलता है अपितु उन्हें पल्लवित और पुष्पित होने का अवसर व अनुकूल वातावरण भी सहज उपलब्ध होता है। यही वजह है कि हमारे देश में हर धर्म और हर जाति के लोगों की अलग-अलग परंपराएं और मान्यताएं मौजूद हैं।

ऐसी ही एक अनूठी परंपरा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना शहर में लगभग चार सौ सालों से चली आ रही है। प्राचीन भव्य मंदिरों के इस शहर पन्ना में प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है, जो प्रणामी धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने कोने से यहां पहुंचते इसी प्रणामी संप्रदाय के अनुयाई और श्रद्धालु शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने कोने से यहां पहुंचते हैं।

यहाँ किलकिला नदी के किनारे व पहाड़ियों के बीचों बीच बसे समूचे पन्ना नगर के चारों तरफ परिक्रमा लगाकर भगवान श्री कृष्ण के उस स्वरूप को खोजते हैं, जो कि शरद पूर्णिमा की रासलीला में उन्होंने देखा और अनुभव किया है। अंतर्ध्यान हो चुके प्रियतम प्राणनाथ को उनके प्रेमी सुन्दरसाथ भाव विभोर होकर नदी, नालों, पहाड़ों तथा घने जंगल में हर कहीं खोजते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को प्रणामी धर्मावलम्बी पृथ्वी परिक्रमा कहते हैं।

श्रद्धालु परम्परानुसार पृथ्वी परिक्रमा में भाग लिया मंदिरों की नगरी पन्ना में शुक्रवार 15 नवम्बर को पृथ्वी परिक्रमा में भाग लेने के लिए देश व विदेश के विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु (सुन्दरसाथ) पन्ना पहुँचे, जिससे आज पूरे दिन मंदिरों के शहर पन्ना में पृथ्वी परिक्रमा की धूम रही। पूरे भक्ति भाव और उत्साह के साथ पन्ना पहुंचे ये श्रद्धालु परम्परानुसार पृथ्वी परिक्रमा में भाग लिया। नेपाल के काठमांडू से आए सुंदर साथ (60 वर्ष) ने बताया कि पृथ्वी परिक्रमा में शामिल होने से जो शांति व सुकून मिलता है, उसे कह पाना कठिन है। वे बताते हैं कि चौथी बार पृथ्वी परिक्रमा में शामिल होने पन्ना आई हैं। यह अनूठी परम्परा हमें प्रकृति से प्रेम करने की सीख देती है।

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