प्रदेश
इस बार के चुनाव में सभी पार्टियों के नेताओं में दलीय निष्ठां का अभाव
-
पुष्पेंद्र सिंह द्वाराटीकमगढ़ 10 नवम्बर ;अभी तक; आगामी 17 नवम्बर को होने जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है ! राज्य के बुंदेलखंड इलाके की 26 सीटों को जीतने की क़वायद में बीजेपी, कांग्रेस सपा, और बसपा के प्रमुख राष्ट्रीय स्तर के नेता अपने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में आयोजित जन सभाओं को सम्बोधित करके बोट मांग चुके हैं! बीते सप्ताह में इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए मल्लिका अर्जुन खड़गे , सपा, बसपा के लिए क्रमशः अखिलेश यादव और मायावती के अलावा बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ भी प्रचार कर चुके हैं!सभी दलों ने स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर बुंदेलखंड के मतदाताओं को अपने पक्ष में बोट देने की अपील की है ये बात जुदा है कि उनके वादों पर इस क्षेत्र का आम मतदाता कितना एतवार करता है! यह चुनाव नतीजों के बाद साफ होगा!फिलहाल वोटर खामोश है!मुद्दों के अतरिक्त उनके लिए अपनेक्षेत्र के उम्मीदवार की छवि और उसकी कार्य शैली, काफ़ी हद तक वोटर को उसके पक्ष में मत देने के लिए प्रेरित करेगी! इसके अलावा पिछले कुछ चुनाव में वोटरों के कुछ तबके अपने सजातीय उम्मीदवार के पक्ष में वोट देते आये हैं फिर भले वह प्रत्याशी चुनाव मुकाबले में कई पायदान नीचे क्यों न हो!वैसे बुंदेलखंड पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है यहाँ रोजगार, सिंचाई के पर्याप्त साधनों के अभाव के साथ उद्योग धंधो के न होने से पलायन भी समस्या रही है जिसे हर चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियां मुद्दा बना कर मतदाताओं को लुभावने वादे करके वोट तो ले लेते हैं लेकिन चुनाव के बाद बुंदेलखंड की उक्त समस्याओं के निदान के लिए कोई खास पहल नहीं की जाती इसलिए इस क्षेत्र के माथे से “पिछड़ेपन “की पहचान दूर नहीं हो पायी है!बीजेपी की उमा भारती ने लोकसभा में चार बार तब कि खजुराहो सीट का न सिर्फ प्रतिनिधित्व किया बल्कि केंद्र में मंत्री बनने के बावजूद उन्होंने अपने इस गृह क्षेत्र के पिछड़ेपन को मिटाने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की, जबकि अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में उमा न सिर्फ अग्रिम पंक्ति की नेत्री हुआ करतीं थीं बल्कि उन्हें एक प्रभाव शाली मंत्री के तौर पर जाना था वे हर चुनाव में सामंत वाद और जाति वाद के गैर जरूरी मुद्दों को लेकर जनता को रिझाती रहीं और चुनाव जीतती रहीं!करीब करीब यही हाल इस क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र कुमार का है उन्होंने भी इस क्षेत्र के विकास के लिए कोई पहल नहीं की!इन सब के बावजूद बुंदेलखंड अपनी शौर्य गाथाओं के लिए जाना जाता है, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, आल्हा ऊदल, महराजा छत्रसाल के अतरिक्त तमाम वीर शासको के किस्से आज भी पढ़े और सुने जाते हैं, मैथली शरण गुप्त, कवि ईसूरी, बृंदाबन लाल वर्मा को कौन नहीं जानता!शिक्षा के क्षेत्र में सागर के डॉक्टर हरी सिंह गौर का नाम अमर है!खजुराहो के मंदिर विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान रखते हैं!राजनैतिक दल यहाँ के सीधे सादे मतदाताओं को रिझा कर वोट तो लेते रहे लेकिन उनकीऔर खासतौर पर ग्रामीण इलाके के लोगों की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया गया, ग्रामीण अंचलो में स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी समस्याओं से लोग आज भी जूझ रहे हैं!वर्ष 2018के चुनाव में बीजेपी ने इस इलाके की 26सीटों में से 17पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस को सात सीटें मिली थीं जबकि सपा और बसपा ने एक -एक सीट पर विजय दर्ज की थी!लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ राष्ट्रीय मुद्दों और स्थानीय मुद्दों को लेकर बीजेपी मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रही है जिनमें जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र के लिए प्रस्तावित 45हज़ार करोड़ की केन बेतवा लिंक के जरिये लोगों से बोट मांगे जबकि कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में किये वादों और प्रदेश में बीजेपी के नाकामी भरे 18वर्ष की घोटालों और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही हैइनके अलावा उक्त दोनों दलों के विद्रोही, सपा बसपा इनके मतों में सेंध लगा कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।इस बार के चुनाव में सभी पार्टियों के नेताओं में दलीय निष्ठां का अभाव देखा गया जिन्हे टिकिट नहीं मिला उन्होंने तुरंत अपनी पार्टी के खिलाफ अपना झंडा बुलंद कर लिया,चुनाव में ऐसे प्रत्याशी अपनी अपनी पार्टी को कितना नुकसान पंहुचायेंगे, यह नतीजों के बाद साफ होगा!
- ,
- or
10