ध्वनि विस्तारक यंत्रों के अनुचित प्रयोग को नियंत्रित करने के लिए किया उड़नदस्ता दल का गठन
दीपक शर्मा
पन्ना २० दिसंबर ;अभी तक; कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी हरजिंदर सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत आदेश जारी कर निर्धारित मापदण्डों से अधिक सीमा में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग प्रतिबंधित किया है। साथ ही अधिकतम अनुमत ध्वनि सीमा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कराने तथा आदेश के प्रभावी क्रियान्यवन के लिए राजस्व अनुविभागवार उड़नदस्ता दल भी गठित किए गए हैं।
आदेश के उल्लंघन पर संबंधित के विरूद्ध विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी। जिला स्तरीय नोडल अधिकारी का दायित्व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को सौंपा गया है। अनुविभागवार गठित उड़नदस्ता दल में एसडीएम सहित संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार/नायब तहसीलदार, नगरीय निकायों के सीएमओ एवं जनपद पंचायत सीईओ, थाना प्रभारी और म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यपालन यंत्री अथवा इनके द्वारा अधिकृत अधिकारी को शामिल किया गया है।
इसके अलावा उड़नदस्ता का थानावार कार्य क्षेत्र भी आवंटित किया गया है। पन्ना अनुविभाग अंतर्गत थाना सिटी कोतवाली पन्ना, देवेन्द्रनगर, मड़ला और बृजपुर, अजयगढ़ अनुविभाग अंतर्गत थाना अजयगढ़ और धरमपुर, गुनौर अनुविभाग अंतर्गत थाना गुनौर, अमानगंज, सलेहा और सुनवानी, पवई अनुविभाग अंतर्गत थाना पवई और सिमरिया तथा शाहनगर अनुविभाग अंतर्गत थाना शाहनगर और रैपुरा शामिल हैं। उड़नदस्ता दल को ध्वनि प्रदूषण के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर त्वरित जांच कर अधिकतम 3 दिवस के भीतर कार्यवाही व जांच प्रतिवेदन संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके उपरांत अनुविभागीय दण्डाधिकारी विधिवत कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे। सभी एसडीएम को अपने क्षेत्र अंतर्गत ध्वनि विस्तारण यंत्रों के उपयोग के लिए निर्धारित गाइडलाइन अनुसार अनुमत्य ध्वनि सीमा के तहत ध्वनि मानकों के प्रावधानों का पालन करते हुए सामान्यतः मध्यम आकार के अधिकतम 2 डीजे के प्रयोग की विधिवत अनुमति देने के लिए प्रभारी अधिकारी भी नियुक्त किया गया है। किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति द्वारा प्रावधानों के उल्लंघन पर आयोजकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा की जा सकेगी। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 यथा संशोधित नियमों के प्रावधान का पालन कराने के लिए अधिकृत शासकीय अधिकारी-कर्मचारी द्वारा पालन नहीं कराये जाने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध भी यथोचित कार्यवाही की जाएगी। जिला दण्डाधिकारी द्वारा संबंधितजनों को आदेश का गंभीरता से पालन सुनिश्चित कराने और उल्लंघन पर वर्णित अधिनियमों, नियम अंतर्गत न्यायिक और विभागीय कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है। क्षेत्र और जोनवार सीमा निर्धारित सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशानुसार ध्वनि प्रदूषण (विनिमय और नियंत्रण) नियम 2000 तथा म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए म.प्र. शासन के गृह विभाग द्वारा विगत 13 दिसम्बर को मापदण्ड स्थापित कर प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए हैं। औद्योगिक क्षेत्र में दिन एवं रात्रि में अधिकतम ध्वनि सीमा क्रमशः 75 और 70 डेसीबल निर्धारित है। इसी तरह व्यवसायिक क्षेत्र में 65 और 55 डेसीबल, आवासीय क्षेत्र में 55 और 45 डेसीबल तथा साइलेंट जोन में 50 और 40 डेसीबल निर्धारित की गई है।