बिना मुआवजा व विस्थापन राशि के काम चालू नहीं करने दे रहे बांध प्रभावित

दीपक शर्मा

पन्ना ११ अप्रैल ;अभी तक; लगभग साल भर से रुके रुंझ बांध मध्यम सिंचाई परियोजना के काम को चालू करवाने प्रशासन द्वारा एक बार फिर नाकाम कोशिश की गई। ग्रामीण बिना मुआवजा व विस्थापन राशि के किसी भी हालत में काम चालू नहीं होने दे रहे।

मामला इस प्रकार है कि रुन्झ बांध मध्यम सिंचाई परियोजना में लगभग सैकड़ा भर परिवार मुआवजा और विस्थापन राशि से वंचित हैं जिन्हें कई बार आवेदन ज्ञापन के बाद भी मुआवजा के बजाय हर बार टाल दिया जाता रहा। जब बिना मुआवजा और विस्थापन राशि के ही प्रभावित परिवारों को हटाया जाने लगा तो यह परिवार सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए। महिलाएं और बच्चे मशीनों के नीचे घुस गए एवं बिना मुआवजा के किसी भी हालत में काम चालू नहीं होने की मानो सौगंध ही ले ली हो।

प्रभावितों का आरोप है कि प्रशासन के द्वारा कई बार समन्वय बैठक की गई और सूची तैयार की गई, प्रशासन के हिसाब से राशि देने का आश्वासन दिया गया उस पर भी सभी सहमत हो गए इसके बाद भी बिना मुआवजा व विस्थापन राशि के ही ग्रामीणों को हटाने का प्रयास किया गया।

ग्रामीणों ने बताया कि हमारा कहीं और घर मकान जमीन या कोई और व्यवसाय नहीं है जिससे यहां से हटने के बाद हम पूरी तरह से बेघर और बेरोजगार हो जाएंगे ऐसे में अपने परिवार का गुजारा कैसे करेंगे। इसलिए यहां से हटने से पहले हमें अपना मुआवजा और विस्थापन राशि चाहिए ताकि हम दूसरी जगह घर मकान बनाकर नया रोजगार शुरू कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। लेकिन प्रशासन तानाशाही पूर्वक जबरन हटाना चाहता है। ग्रामीणों ने बताया कि 10 अप्रैल को दोपहर लगभग 2 बजे अजयगढ़ एसडीएम कुशाल सिंह गौतम, तहसीलदार सुरेंद्र कुमार अहिरवार, राजस्व टीम के साथ रुंझ बांध और रुका हुआ काम चालू करवाने लगे। ग्रामीणों को भनक लगते ही सैंकड़ों महिलाओं बच्चों युवा बुजुर्गों ने प्लांट को घेर कर काम रुकवा दिया। अधिकारियों ने फोन कर कुछ ही देर में एसडीओपी राजीव सिंह भदोरिया, थाना प्रभारी बखत सिंह सहित भारी पुलिस बल को बुला लिया और काम चालू नहीं करने देने की स्थिति में ग्रामीणों जेल भेजने की धमकी दी, लेकिन ग्रामीणों का कहना था कि चाहे हमें जेल भेज दो या गोली मार दो लेकिन हम इस प्रकार बिना मुआवजा के नहीं हटेंगे।

ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों के द्वारा काम चालू नहीं होने देने की स्थिति में मुख्य रूप से बुद्धू लाल आदिवासी, सनत कुमार पाण्डेय, हेतराम पाल, बेटा लाल कोंदर और शिवदत्त गौतम को जेल भेजने की चेतावनी दी गई है। दोपहर लगभग 2 बजे से देर शाम तक ग्रामीणों और प्रशासनिक अमले के बीच नोक झोक चलती रही। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार आश्वासन दिया गया लेकिन आज तक मुआवजा व विस्थापन राशि नहीं दी गई जिससे अब बांध प्रभावितों का विश्वास प्रशासन से उठ चुका है और बिना भुगतान के किसी भी हालत में हटने को तैयार नहीं है अंजाम चाहे जो कुछ हो अब देखना यह होगा कि प्रभावितों को मुआवजा व विस्थापन राशि का भुगतान किया जाता है या फिर बिना भुगतान के ही ग्रामीणों के आशियाने उजाड़ कर बांध का रुका हुआ काम चालू करवाया जाता है।