म. प्र. सरकार का स्वास्थ मंत्रालय और प्रदेश औषधि विभाग रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों की कर रहे अनदेखी
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ६ जुलाई ;अभी तक; प्रदेश सरकार जहां एक तरफ बड़े बड़े वादे कर रही है वहीं दूसरी तरफ यदि जमीनी हकीकत स्वास्थ विभाग में देखी जाएं तो दवा वितरण से ले कर औषधि प्रशासन विभाग तक के अधिकारी नियमों को ताक पर रख कर मलाई छान रहे हैं।
नेताओं को जितनी भी अधिकारियों द्वारा जानकारी दी जाती है वो मात्र खानापूर्ति बन कर रह जाती है। विगत चार वर्षों से लगातार एम पी फार्मासिस्ट एसोसिएशन के द्वारा संबंधित विभाग के स्वास्थ मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री महोदय तक पत्राचार करते हुए लगातार बदहाल स्वास्थ व्यवस्थाओं को ले कर आगाह किया जाता रहा है परंतु कोई उचित कार्यवाही नहीं की जाती है। आम जनता के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
समस्त जिलों में बिना फार्मासिस्ट की उपस्थिति में दवा वितरण धड़ल्ले से हो रहा है। इस संबंध में संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजवीर त्यागी ने बताया कि रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट संगठन द्वारा औषधि निरीक्षको से फोन के माध्यम से चर्चा की जाती है तो वो कहते हैं कि कई जिलों का प्रभार है हम नजर नहीं रख पाते हैं ना ही मेडिकल स्टोर्स चेक कर पाते हैं जब शिकायत मिलती है तो कार्यवाही की जाती है मगर कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति ही रहती है जबकि औषधि निरीक्षकों के पदों पर नई नियुक्ति हो चुकी है और वो भोपाल में एक साल से आराम कर रहे है उन्हें फील्ड में नहीं भेजा जा रहा है हम कहां कहां पहुंचे। ऐसा जवाब दे कर आश्वासन दे दिया जाता है। इन बातों से यह प्रतीत होता है कि सरकारी पैसों का दुरुप दुरुपयोग होता नजर आ रहा है। जबकि सही मायने में तहसील ब्लाक और जिला मुख्यालय स्तर पर औषधि निरीक्षकों की प्रतिदिन मॉनिटरिंग होना जरूरी है है तभी नशे के साथ साथ अवैध दवाओं के कारोबार को रोकना संभव हो पाएगा। प्रदेश सचिव दीपक मिश्रा जी ने बताया की दो वर्षों का डिप्लोमा और चार वर्षों का फार्मेसी पाठ्यक्रम होता है जो की तकनीकी शिक्षा के अंतर्गत आता है इसकी पढ़ाई करने के बाद जब छात्र फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश भोपाल में जाते हैं पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी लगभग एक वर्षों से हजारों रजिस्ट्रेशन बिना रजिस्ट्रार सिग्नेचर के कारण जारी नहीं हो पा रहे हैं इस मामले में संगठन को लगातार फार्मासिस्ट शिकायत कर रहे थे जिसके संबंध में रजिस्ट्रार महोदय माया अवस्थी जी से संगठन के पदाधिकारी द्वारा चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे तीन से चार विभागो का प्रभार दिया गया है मैं समय नहीं दे पा रही हूं और नहीं कर पाऊँगी और फोन उठाना बंद कर दिया। सोचने वाली बात ये है कि इसमें फार्मासिस्ट की क्या गलती है। फिर संगठन द्वारा दिल्ली फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को पत्र लिखा गया और यथास्थिति से अवगत करवाया गया है अभी उनके द्वारा कोई इस संबंध में की जाने वाली कार्यवाही की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है। पूरे प्रदेश में सरकार मेडिकल कॉलेज शुरू करने जा रही है जिसमें दवा वितरण कार्य रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट द्वारा किया जाना है परंतु राज्य सरकार ने अभी तक फार्मासिस्ट के पदों पर कोई भी वैकेंसी जारी नहीं की है।
प्रायः देखने में आ रहा है कि दूसरे कर्मचारियों द्वारा दवा वितरण कार्य करवाया जा रहा है जो कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट और रूल्स के खिलाफ है। यदि राज्य सरकार का औषधि प्रशासन विभाग को पहले ही सक्त निर्देश जारी किए गए होते या सतर्क कदम उठाए जाते तो हाल ही में कोविड-19 जैसी गंभीर महामारी में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हेलीकाप्टर से रेमडिसिवर इंजेक्शन ना मंगवाने पड़ते ना ही आनन फानन में हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन प्लांट ना लगवाने पड़ते। कोविड के समय हमारे फार्मासिस्ट साथियों से काम करवाने के बाद उन्हें नौकरी से वंचित कर दिया गया था। परंतु फिर भी ऐसी घटनाओं से सीख नहीं ली जा रही है। कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित नहीं हो जाती तब तक राज्य सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। उपरोक्त विषय पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमित सिंह ठाकुर जी ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार संगठन को उग्र आंदोलन करने को विवश कर रही है संगठनात्मक पदाधिकारियों और प्रदेश भर के फार्मासिस्ट साथियों लगातार चर्चा की जा रही है उसके पश्चात मजबूत कदम उठाया जाएगा और अनवरत भूख हड़ताल भी की जायेगी। यह जानकारी एम पी
फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सह मीडिया प्रभारी सुधांशु मिश्रा ने दी।