प्रदेश
सिद्ध चक्र मंडल विधान रोग शोक को दूर कर मुक्ति प्रदान करने वाला है- मुनि श्री प्रशांतसागरजी महाराज
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १८ मार्च ;अभी तक; श्री दिगंबर जैन महावीर जिनालय जनकुपुरा में परम पूज्य चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री प्रशांतसागरजी महाराज एवं मुनि संघ के सानिध्य में अष्टान्हिका पर्व के अंतर्गत से सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन का भव्य आयोजन अजमेरा परिवार द्वारा किया जा रहा है।
सोमवार को प्रातः 7.30 बजे से दोपहर लगभग 12 तक आयोजित हुई मंडल विधान पूजन में प्रवचन के दौरान मुनि श्री प्रथमसागरजी महाराज ने कहा कि अष्टान्हिका पर्व में सिद्ध भगवंतों की आराधना से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान कर्तावादी नहीं है परंतु जितना छोड़ते जाओगे उतना पाते जाओगे क्योंकि पाप कर्म क्षीण होकर पुण्य की वृद्धि होती जाती है। उन्होंने कहा भावपूर्वक भक्ति से आत्मा समृद्ध होती है। सिद्ध चक्र मंडल विधान रोग शोक को हर कर मुक्ति प्रदान करने वाला है।
मुनि श्री साध्यसागरजी महाराज ने धर्मालुजनों को संबोधित करते हुए कहा संसार में भ्रमण के मार्ग अनेक है परंतु सुधरने व संभलने का महावीर का मार्ग है। जैन धर्म शस्त्र उठाकर नहीं बल्कि शास्त्र उठाकर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। मुनिश्री शीलसागर जी महाराज ने मंगलाचरण किया।
पूजन के पूर्व भगवान जिनेंद्र देव के अभिषेक व शांतिधारा का लाभ एडवोकेट पवन कुमार अजमेरा व अशोक बड़जात्या ने प्राप्त किया।
मुनि संघ के पाद प्रक्षालन श्री अभय अजमेरा व सुधीर अजमेरा ने किए। श्रीमती संतोष देवी व सुयश अजमेरा ने मुख्य अर्घ्य समर्पित किये। पं. श्री अरविंद जैन व आनंद जैन शास्त्री ने पूजन संपन्न करवाई।
डॉ चंदा भरत कोठारी ने बताया कि प्रतिदिन मुनि संघ के प्रवचन प्रातः 9 बजे महावीर जिनालय में हो रहे हैं, सायंकाल 7.30 बजे आरती भक्ति 8 बजे शास्त्र स्वाध्याय व 9 बजे से दिगंबर जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
पूजन के आयोजन में सर्वश्री पं. विजय कुमार गांधी, सुरेश जैन, निर्मल झांझरी, डॉ. महेंद्र पाटनी, ऋषभ कुमार कोठारी, अशोक पांड्या, नरेंद्र छाजेड़, अभय मादावत, जितेंद्र पांड्या, धर्मेंद्र बडजात्या, शांतिलाल डोसी, संजय कोठारी, कमल झांझरी आदि बड़ी संख्या में समाजजनों ने उपस्थित होकर विधान में भाग लिया।
सोमवार को प्रातः 7.30 बजे से दोपहर लगभग 12 तक आयोजित हुई मंडल विधान पूजन में प्रवचन के दौरान मुनि श्री प्रथमसागरजी महाराज ने कहा कि अष्टान्हिका पर्व में सिद्ध भगवंतों की आराधना से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान कर्तावादी नहीं है परंतु जितना छोड़ते जाओगे उतना पाते जाओगे क्योंकि पाप कर्म क्षीण होकर पुण्य की वृद्धि होती जाती है। उन्होंने कहा भावपूर्वक भक्ति से आत्मा समृद्ध होती है। सिद्ध चक्र मंडल विधान रोग शोक को हर कर मुक्ति प्रदान करने वाला है।
मुनि श्री साध्यसागरजी महाराज ने धर्मालुजनों को संबोधित करते हुए कहा संसार में भ्रमण के मार्ग अनेक है परंतु सुधरने व संभलने का महावीर का मार्ग है। जैन धर्म शस्त्र उठाकर नहीं बल्कि शास्त्र उठाकर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। मुनिश्री शीलसागर जी महाराज ने मंगलाचरण किया।
पूजन के पूर्व भगवान जिनेंद्र देव के अभिषेक व शांतिधारा का लाभ एडवोकेट पवन कुमार अजमेरा व अशोक बड़जात्या ने प्राप्त किया।
मुनि संघ के पाद प्रक्षालन श्री अभय अजमेरा व सुधीर अजमेरा ने किए। श्रीमती संतोष देवी व सुयश अजमेरा ने मुख्य अर्घ्य समर्पित किये। पं. श्री अरविंद जैन व आनंद जैन शास्त्री ने पूजन संपन्न करवाई।
डॉ चंदा भरत कोठारी ने बताया कि प्रतिदिन मुनि संघ के प्रवचन प्रातः 9 बजे महावीर जिनालय में हो रहे हैं, सायंकाल 7.30 बजे आरती भक्ति 8 बजे शास्त्र स्वाध्याय व 9 बजे से दिगंबर जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
पूजन के आयोजन में सर्वश्री पं. विजय कुमार गांधी, सुरेश जैन, निर्मल झांझरी, डॉ. महेंद्र पाटनी, ऋषभ कुमार कोठारी, अशोक पांड्या, नरेंद्र छाजेड़, अभय मादावत, जितेंद्र पांड्या, धर्मेंद्र बडजात्या, शांतिलाल डोसी, संजय कोठारी, कमल झांझरी आदि बड़ी संख्या में समाजजनों ने उपस्थित होकर विधान में भाग लिया।