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भाग्य को दोष मत दो, पूण्य कर्म बढ़ाओ पाप कर्म से दूर रहो- साध्वी श्री अर्हताश्रीजी

महावीर अग्रवाल
 मन्दसौर २१ अक्टूबर ;अभी तक;  मानव जीवन में हमें जो सुख समृद्धि या दुख मिलता है वह हमारे पाप व पूण्यकर्म के फलस्वरूप ही मिलता है। जीवन में यदि आपका पूण्यकर्म सुदृढ़ है तो कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता हैं लेकिन यदि आपका पूण्यकर्म नहीं है और पापकर्म का प्रभाव आपके जीवन पर है तो कितना ही प्रयास कर लो आपको असफलता ही मिलेगी। इसलिये जीवन में भाग्य को दोष देने की बजाय अपने पूण्यकर्म का खाता बढ़ाओ और पापकर्म कम से कम हो ऐसा प्रयास करे।
                                         उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में कहे। आपने शनिवार को यहां धर्मसभा में कहा कि ओलीजी की तपस्या करने वालों को श्रीपाल व मैना सुंदरी की कथा को जरूर सुनना व समझना चाहिये। मैना सुंदरी अपनी माता जो कि जैन धर्म की अनुयायी थी उनके संस्कारों के कारण कर्म सिद्धांत में विश्वास करती थी मैना सुंदरी का एक बार अपने पिता प्रजापाल राजा से इसी विषय को लेकर मतभेद हुआ। मैना सुंदरी जो कि धर्म के प्रति श्रद्धा रखती थी उसने अपने पिता के अनुचित कथनों का समर्थन नहीं किया। उसके कारण उसे पिता के क्रोध का सामना करना पड़ा लेकिन मैना सुंदरी फिर भी अपनी बात पर अडिंग रही। साध्वी श्री ने कहा कि हर व्यक्ति का अपना पूण्यकर्म व पापकर्म उसके साथ चलता हैं जब पूण्य कर्म का प्रभाव हमारे जीवन में होता है तो हमें सुख अनुभव होता है लेकिन पापकर्म उदय में आते है तो हमे ंदुख भोगने पड़ते है इसलिये जीवन में भाग्य को दोष मत दो। पुण्य कर्म का संचय करो, सुख मिलेगा।
                                      आज से तीन दिवसीय सरस्वती वंदना अनुष्ठान होगा-श्री केसरिया आदिनाथ श्रीसंघ के द्वारा 9 पद की औलीजी के अंतर्गत आज 22 से 24 अक्टूबर तक प्रतिदिन 2 से 4 बजे तक माता सरस्वती की वंदना का अनुष्ठान रूपचांद आराधना भवन में होगा। जिसमें 8 से 25 वर्ष तक आयु के विद्यार्थी भाग लेंगे।

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