शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर में संस्कृत महोत्सव संपन्न

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर २६ अगस्त ;अभी तक;  राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर के प्राचार्य डॉ. एल.एन. शर्मा ने बताया कि दिनांक 26 अगस्त 2023 को महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत संस्कृत महोत्सव एवं संस्कृत-प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन महाविद्यालय के श्री कुशाभाऊ ठाकरे प्रेक्षागृह में किया गया।

महाविद्यालय की जनभागीदारी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष माननीय श्री नरेश चंदवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृत समारोह के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृतभारती के मध्य प्रांत के संगठन मंत्री श्री प्रमोद पंडित एवं विभाग प्रचारक श्री अरुण कुमार 9जैन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के शुभारंभ में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप-दीपन किया गया। इस अवसर पर श्री पशुपतिनाथ पाठशाला के बटुकों द्वारा वैदिक मंगलाचरण का पाठ किया गया तथा छात्र देवांश मालवीय द्वारा गजानन स्तुति संस्कृत में प्रस्तुत की गई। छात्रा कु. राधिका कुमावत द्वारा जननी जन्मभूमि गीत का सस्वर गायन भी किया गया।

जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष नरेश  चंदवानी एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर ए लाइन शर्मा द्वारा आमंत्रित अतिथियों का शाल श्रीफल एवं पुष्प मालाओं द्वारा स्वागत सत्कार किया गया। स्वागत कार्यक्रम के पश्चात प्राचार्य डॉ. एल.एन. शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया। संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. के.आर. सूर्यवंशी ने विषय प्रवर्तन किया।

श्री नरेश चंदवानी ने अपने उद्बोधन में महाविद्यालय समिति के द्वारा किए गए निर्माण कार्यों एवं महाविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों तथा सुविधाओं की जानकारी देते हुए नवाचारों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता माननीय श्री प्रमोद पंडित ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा को जनभाषा के रूप में स्वीकार कर लेने पर भारत को विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता उन्होंने अपने भाषण के दौरान इस बात पर जोर दिया की संस्कृत आज प्रत्येक घर की भाषा होनी चाहिए। घरों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों और संबोधनों में संस्कृत की अधिकता होनी चाहिए वास्तव में संस्कृत भाषा में ही भारतीय संस्कृति समाहित है आपने खिचड़ी भाषा बोलने के स्थान पर शुद्ध भाषा के उच्चारण पर जोर दिया। आपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्कृत विदों, संस्कृत-प्रेमियों एवं संस्कृत के शिक्षकों को इसके प्रचार प्रसार हेतु आवश्यक प्रयास करने का आह्वान किया। आपने कहा कि संस्कृत वाङ्मय में समस्त प्रकार का ज्ञान एवं  कौशल विधियां उपलब्ध हैं अतः हमें संस्कृत सीखना शुरू करना चाहिए। संस्कृत हमें मातृवत जीवन जीना सिखाती है। यह वात्सल्य एवं प्रेम के प्रचार-प्रसार की भाषा है। कार्यक्रम में छात्र अर्पित परमार द्वारा संस्कृत की महत्ता और उपयोगिता पर संक्षिप्त भाषण दिया गया।

इस अवसर पर आयोजित संस्कृत प्रतिभा सम्मान समारोह के अंतर्गत संस्कृत विभाग के ऐसे विद्यार्थियों का सम्मान किया जो अब विभिन्न शासकीय नौकरियों में संस्कृत शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संस्कृत विषय में विक्रम विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त विद्यार्थियों का भी इस अवसर पर आमंत्रित अतिथि गणों ने सम्मानित किया। महाविद्यालय में संस्कृत के प्रचार हेतु संस्कृत विभाग की डॉ. प्रीति श्रीवास्तव के संयोजन में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम में राष्ट्रीय संत डॉ. मिथिलेश जी नागर, संस्कृत भारती के प्रान्तकोष प्रमुख श्री सुरेश चंद्र शर्मा, संस्कृत भारती के कार्यकर्ता गण, नगर के गणमान्य नागरिक, पत्रकार बंधु सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक व  विद्यार्थी गण व आयुर्वेद महाविद्यालय एवं श्रीपशुपतिनाथ पाठशाला के बटुक उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्कृत विभाग के प्रो. अनिल कुमार आर्य ने किया एवं आभार प्रदर्शन संस्कृत विभाग के ही प्रो. पंकज शर्मा द्वारा  किया गया।