जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ षट्खंडागम के ताम्रपत्र महावीर जिनालय में स्थापित किए मालवा प्रांत में बना प्रथम जिनवाणी मंदिर

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर १३ जुलाई ;अभी तक;  श्री दिगंबर जैन महावीर जिनालय जनकुपुरा में अजमेरा परिवार द्वारा जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ षट्खंडागम को ताम्रपत्र पर अंकित करवा कर जिनवाणी मंदिर में विधि विधान से स्थापित किया गया।
यह जानकारी देते हुए डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया कि इस अवसर पर ब्रह्मचारी संजय भैया मुरैना के मार्गदर्शन में याग मंडल विधान की सामूहिक पूजन का आयोजन कर मंत्रोच्चार के साथ पवित्र ग्रंथ को विराजमान किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में समाजजनों ने भाग लिया।
                          ब्रह्मचारी संजय भैया ने बताया जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ षट्खंडागम को लगभग 1866 वर्ष पूर्व आचार्य श्री पुष्पदंत व भूतबली महाराज द्वारा अंकलेश्वर तीर्थ गुजरात में प्राकृत भाषा में लिपिबद्ध किया गया था। ग्रंथ के 6 खंड में 6177 सूत्र लिखे गए हैं, जो वर्तमान में धवला, जयधवला, महाधवला आदि 30 पुस्तकों में उपलब्ध है। उन्होंने बताया यह जैनों का प्रथम पवित्र पूजनीय ग्रंथ है, भक्ति भाव से ग्रंथ की आराधना करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। इस पूरे ग्रंथ के सूत्रों को अजमेरा परिवार द्वारा 409 ताम्रपत्रों पर अंकित करवा कर महावीर जिनालय में नवनिर्मित जिनवाणी मंदिर में स्थापित किया गया। इस दौरान नीमच से आए विद्वान श्री पी सी जैन ने भी संबोधित किया।
                           पूजन के पश्चात जिनालय ट्रस्टी संरक्षक शांतिलाल बड़जात्या, अध्यक्ष जयकुमार बड़जात्या, सचिव डॉ संजय गांधी, कोषाध्यक्ष अभय अजमेरा, पवन कुमार अजमेरा, निर्मल झांझरी, राजकुमार पाटनी, हंसमुखलाल जैन व राजेश अजमेरा ने ग्रंथ के ताम्रपत्रों को मस्तक पर धारण करके वेदी में विराजमान किया।
सुश्री मीनू गांधी द्वारा संगीतमय पूजन करवाई गई, श्रीमती अर्चना कोठारी व बबीता पाटनी ने जिनवाणी स्तुति की। इस दौरान एक अन्य वेदी में स्वर्ण कार्य पूर्ण होने पर डॉ संजय गांधी द्वारा वहां पुनः जिनबिंब विराजमान किए गए।
इस अवसर पर डॉ मनसुखलाल गांधी, डॉ महेंद्र पाटनी, ठाकुर लाल जैन, सुनील पाटनी, अशोक कुमार अजमेरा, गौतम पाटनी, ऋषभ कुमार कोठारी, अशोक कुमार अजमेरा, संजय गोधा,राजेश बड़जात्या, संदीप गांधी आदि ने पूजन विधान में भाग लिया। श्री अशोक अजमेरा ने सभी का आभार व्यक्त किया।