आज 18 जुलाई जन्मदिवस पर विशेष ; शिक्षक संगठनों के कुशल रणनीतिकार; श्री रामकृष्ण नवाल

महावीर अग्रवाल 
मंदसौर १७ जुलाई ;अभी तक;  वेदों का वाक्य है कि “नीति निपुण लोग चाहे निंदा करें प्रशंसा, लक्ष्मी रहे या जहां उसकी इच्छा हो वहां चली जाएं, मृत्यु आज होती हो या 100 वर्ष बाद, किंतु धैर्यवान पुरुष कभी भी न्याय एवं सत्य के पथ से विचलित नहीं होते।
                          उक्त कसौटी पर जीवन भर खरे उतरे हैं श्री रामकृष्ण कालूराम जी नवाल, जिन्होंने आर्थिक कठिनाइयों और अनेक पारिवारिक संघर्षों के बीच एमए डीएड किया तथा शासकीय सेवा में शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए साथ ही साथ इन्होंने आयुर्वेद रत्न की परीक्षा पास कर होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से अनेक लोगों की सेवा की, उसमें अनेक ऐसे लोग भी आए जिन्होंने चिकित्सा की फीस भी नहीं दी और दवाइयां भी फ्री में ले गए किंतु श्री नवाल साहब ने अपनी उदारता का परिचय देते हुए उनसे कभी भी  पैसे की मांग नहीं की और परिवार में यदि चर्चा होती तो भी यही कहते कि हमने सेवा का व्रत धारण किया है, चिकित्सा का व्यवसाय हमारा उद्देश्य नहीं है।
                                श्री रामकृष्ण नवाल सन 1954 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने तथा एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में स्थापित हुए । सन 1961 में  शासकीय सेवा में जाने के बाद शिक्षकों की समस्या के लिए संघर्ष करने एवं नेतृत्व करते हुए सन 1980 में आपने मध्य प्रदेश शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष बनने के बाद प्रांतीय संगठन मंत्री का दायित्व संभाला और  अखंड मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी को निरंतर आपने बड़ी कुशलता से निभाया।
किंग मेकर की भूमिका में आपने अपने प्रयासों से अनेक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा मंडल एवं पाठ्य पुस्तक निगम का सदस्य बनवाया, यही नहीं 1990 के दौर में पंधाना विधानसभा क्षेत्र के श्री किशोरी लाल वर्मा जो मध्य प्रदेश शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे थे, उन्हें सरकार पर दबाव बनाकर शिक्षा राज्यमंत्री बनवाया। इस कार्य में उस समय क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री बाबूलाल जी फरक्या( अवंतिका मंदसौर) के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
1990 में श्री बाबूलाल जी फरक्या का विशाल अभिनंदन समारोह सफल आयोजन भी श्री रामकृष्ण नवाल के नेतृत्व में संपन्न हुआ। जिसमें पूरे मंदसौर जिले से 1000 शिक्षकों ने भागीदारी की थी।
इसी प्रकार भारत में शिक्षकों की प्रतिनिधि संस्था अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आप क्षेत्रीय प्रमुख रहे, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य सम्मिलित है। तथा 2014 -15 से सर्व शिक्षक संघ के प्रांत संरक्षक के नाते अपना दायित्व आज भी निभा रहे हैं।
सामान्यतः रिटायरमेंट के पश्चात शासकीय कर्मचारी सभी दायित्वों से अपने आप को मुक्त समझने लगते है एवं एक अनचाहे, अनजाने डिप्रेशन में चले जाते हैं। किंतु श्री नवाल साहब 31 जुलाई 2001 को रिटायरमेंट  के बाद से ही लगातार सामाजिक सरोकारों एवं शिक्षकों की समस्याओं के लिए निरंतर जूझते रहे और आज भी जूझ रहे हैं।
आज 84 साल की उम्र में भी श्री नवाल साहब के पास मंदसौर नीमच जिले सहित प्रदेश के अनेक शिक्षक अपनी शासकीय समस्याएं लेकर आते हैं, जिनके लिए आवश्यकता अनुसार ड्राफ्टिंग, उचित कार्रवाई का मार्गदर्शन, कानूनी सलाह इत्यादि देने का कार्य वह बखूबी निभा रहे हैं।
जब नवाल साहब शिक्षक रहते हुए जनकुपुरा मंदसौर में निवास करते थे, तब जिले के शिक्षक और प्रांत के पदाधिकारी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक गण जब कभी भी इनके घर आते थे तो बिना भोजन के यह उन्हें जाने नहीं देते थे। जबकि उस समय इनकी आर्थिक परिस्थिति बहुत कमजोर थी।
इनके दो पुत्र और दो पुत्रियों की जिम्मेदारी निभाने के लिए इनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रेमलता नवाल सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षिका का दायित्व निभाते हुए भी पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन बड़ी कुशलता से करती थी और आज भी कर रही है।
आज 18 जुलाई को नवाल साहब का 84 वाँ  जन्मदिन है, आज के इस अवसर पर हम उनकी सार्वजनिक और शिक्षकीय सेवाओं का अभिनंदन करते हुए उनके दीर्घायु, स्वस्थ एवं यशस्वी जीवन की कामना करते हैं