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छोटे किसान रामप्रसाद मीणा ने भी हाँकि डेढ़ बीघा में बोई सोयाबीन की फसल
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ३१ अगस्त ;अभी तक ; मंदसौर जिले के गरोठ उपखण्ड मुख्यालय से कोई 22 किमी दूर ग्राम देवरिया के एक छोटे किसान रामप्रसाद मीणा ने मंडी में सोयाबीन के लाभप्रद भाव नही मिलते देख उसने अपनी तीन बीघा में खड़ी सोयाबीन की फसल में से डेढ़ बीघा की फसल को हांक कर नष्ट कर दी।
रामप्रसाद मीणा का कहना है कि गत वर्ष भी उसने ढाई बीघा में सोयाबीन की फसल बोई थी और उत्पादन 4-साढ़े चार क्विंटल के हिसाब से हुआ था और भाव 4 हजार रु क्विंटल मिले थे। अभी यह स्थिति है कि भाव 4200-4300रु क्विंटल है। इतना पैसा तो मेरा खर्च ही हो रहा है तो मुझे आमदनी क्या होगी।
उनका कहना है कि अभी अच्छे भाव नही मिलने के कारण सोयाबीन की डेढ़ बीघा में खड़ी फसल को हांक दी है। इससे उसे काफी नुकसान हुआ है। अब जिस फसल से अच्छा भाव मिलेगा वह फसल बोउंगा। वह इस खाली खेत मे मटर की फसल की बुआई कर सकते है जिससे फलियां तोड़कर बच्चे भी बेच सकते है। उन्होंने कहा कि सरकार सोयाबीन की फसल का दाम 7-8 हजार रु क्विंटल दे तो किसान को इस फसल से फायदा हो सकता है।
रामप्रसाद मीणा ने बताया कि उनके पिताजी के वे 5 भाई है और भाइयों के पांति में साढ़े तीन- साढ़े तीन बीघा जमीन आई है। मेरे पास साढ़े तीन बीघा जमीन सिंचित है। मेरे 5 बालिका और एक बालक है । 2 बालिकाओं की शादी कर दी है। 3 बालिका और एक बालक है जिनकी शादी करनी है। रामप्रसाद मीणा ने बताया कि उसके पास साढ़े तीन बीघा जमीन है और परिवार को चलाने के लिए उसे मजदूरी भी करना पड़ती है।
उन्होंने इतनी कम जमीन से परिवार का गुजर बसर कैसे चलाते है प्रश्न पर उन्होंने कहा कि 200-250 रु प्रतिदिन पर गांव में ही मजदूरी भी करते है और किसी का भी खेत बटाई पर खेती करने के लिए भी लेता हूं। इस प्रकार उनका और परिवार का गुजर बसर हो जाता है।
मंडियों में इस वर्ष सोयाबीन के भावों में उछाल नही आया है। उधर अभी तक तीन किसानों द्वारा मंडी में सोयाबीन के अच्छे भाव नही मिलने से अपनी सोयाबीन की फसल पर रोटा वेटर चलवा कर हंकवा दी। इन किसानों का कहना है कि जो भाव मिल रहे है इतना तो वे अभी तक फसल पर खर्च कर चुके है और अभी फसल पकने तक खर्च होगा। इन किसानों का कहना है कि सोयाबीन का अधिक भाव मिलेगा तब उन्हें।फायदा है।
सरकार की छोटे ,गरीब,हरिजन आदिवासी किसानों के लिए प्रतिवर्ष खरीफ और रबी की फसलों के समय दी जाने वाली इमदाद की खाद,बीज , दवाई की क्या सुविधा दी जाती है या नही यह सब एक समीक्षा और गहन जांच का विषय हो सकता है ताकि सरकार को यह तो पता चल सके कि आखिर इन किसानों को दी जारही इमदाद का क्या हो रहा है या यह दी ही नही जा रही है। सरकार को उसकी छोटे किसानों को लेकर क्या योजनाएं चल रही है यह तो बताना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी योजनाओं को लेकर हो सके।