मंदसौर और बारिश‘‘
डॉ. नीलेश नागायच
सीनियर रेजिडेंट
सुंदरलाल पटवा मेडिकल कॉलेज, मन्दसौर
यह शहर में जो रोज केवल 15-20 मि.ली. की बारिश हो रही है।
इस बाल्टी पर पानी से सुकून कम उमस की बेचैनी ज्यादा हो रही है।
इस से समझ जाओ कि प्रकृति हमसे क्या कह रही है ।
नहीं तो तुम्हारा इंतजार तुम्हें मुबारक, उसको जो करना वह तो फिर कर ही रही है।।
अब पैर जमीन पर मारने से तुरन्त पानी नहीं निकलेगा
हमें बड़े स्तर पर वृक्षारोपण का आंदोलन करना होगा ।
अब जो इतनी झुंझलाहट हो रही है ,
चारों तरफ इसके लिए पूजा पाठ भी हो रही है।।
पर याद करो श्री कृष्ण का गोवर्धन पर्वत का पूजन,
प्रकृति को ऊपर रख उन्होंने बंद किया था इंद्र का वंदन।
पर यह पेड़ पौधे और प्रकृति भी देवीय संरचना है
जिनका वृक्षारोपित कर, फिर से स्थापित करना है ।।
और इस प्राकृतिक असंतुलन को फिर से संतुलन में लाना है।।
अब एक अब एक या उससे ज्यादा वृक्ष को देव तुल्य बनाना है।।
कुछ भी मुश्किल नहीं है यदि ठान लिया जाए
राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक विद्वेषों को खत्म किया जाए।
आओ सब फिर से मिलकर पेड़ लगाए
और मंदसौर में चिरकालीन प्राकृतिक संतुलन लाएं।
डॉ. नील की आप सब से यही प्रार्थना हैं,
मंदसौर को वृक्षों से सजाना है।।