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प्रभु महावीर के जीवन से प्रेरणा ले, जीवन में समता व सहनशीलता का गुण लाये; संत श्री पारसमुनिजी

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर २४ अगस्त ;अभी तक;  भगवान महावीर का सम्पूर्ण जीवन प्रेरणादायी है। जैन आगमों में प्रभु महावीर के ज्ञान, दर्शन, चरित्र की तुलना सुमेरू पर्वत से की गई है। जिस प्रकार सुमेरू पर्वत सभी पर्वतों में श्रेष्ठ है तथा उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है उसी प्रकार प्रभु महावीर का जीवन भी सुमेरु पर्वत की भांति विशिष्ठ है।

उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री पारसमुनिजी म.सा. ने शास्त्री कॉलोनी स्थित नवकार भवन में कहे। आपने गुरूवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि प्रभु महावीर का जीवन चरित्र श्रेष्ठ था जैन आगमों में इसी कारण उनके जीवन की तुलना मेरू पर्वत से की गई है। जिस प्रकार मेरु पर्वत कभी भी कम्पायमान नहीं होता है उसी प्रकार भगवान महावीर के जीवन में कितने ही कष्ट आये थे लेकिन उन्होंने अपनी समता का गुण नहीं खोया। प्रभु महावीर के संगम देव एवं पशुपालन ने भयंकर उपसर्ग दिये लेकिन उन्होंने सहनशीलता बनाये रखी और अपने मन में उपसर्ग देने वाले के प्रति द्वेष नहीं आने दिया। वे कष्टों को सहते गये लेकिन मन में उनके उपसर्ग (दुख) देने वाले के प्रति कटुता का भाव नहीं आया। हमें भी प्रभु महावीर के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिये।

संत श्री अभिनंदनमुनिजी ने मंदसौर में पहली बार व्याख्यान देते हुए कहा कि मानव जीवन औंस की बूंद की भांति है जिस प्रकार ओस की बूंद का अस्तित्व कुछ सीमित समय के लिये ही होता है। प्रातःकाल के समय औंस बुंद परतों पर दिखती है लेकिन सूर्य का प्रकाश पड़ते ही वे नष्ट हो जाती है और पानी बन जाती है उसी प्रकार मानव जीवन भी औंस की बुंद की भांति है जो कभी भी नष्ट हो सकता है इसलिये जीवन में अहंकार नहीं करे। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।

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