राम राज्य का नवस्वरूप है- सुशासन (मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन प्रसंगों पर हुए आयोजन)

 महावीर अग्रवाल 
मंदसौर १९ जनवरी ;अभी तक;  एक सुव्यवस्थित राज्य को राम राज्य कहा जाता है। राम राज्य का सपना हमारे साथ हजारों वर्षों से हैं ।राम राज्य क्या है ? जहां सभी को न्याय मिलता है, सभी समृद्ध और प्रसन्न है।हमारे संविधान और सरकारों द्वारा सुशासन की परिकल्पना इसी दिव्यता  की ओर बढ़ते जाने का निरंतर प्रयास है।
                        उक्त विचार स्थानीय शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर एल. एन. शर्मा ने विद्यार्थियों के सम्मुख व्यक्त किए। आप राज्य शासन के निर्देशों  के तहत मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन प्रसंग एवं राम राज्य की अवधारणा पर आधारित परिचर्चा और भाषण प्रतियोगिता के अंतर्गत मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे । प्राचार्य डॉ.  शर्मा ने कहा कि जब समाज में स्वास्थ्य ,आनंद,समृद्धि और न्याय हो एवं जब हम इसी सत्य को पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हों;वही राम राज्य है। आयोजन की संयोजक प्रोफेसर डॉक्टर सरिता अग्रवाल ने लोक कथाओं से जुड़े भगवान श्री राम के रोचक प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि राम का अर्थ है ‘मेरे भीतर का प्रकाश ‘और यह दुनिया भगवान श्रीराम की रोशनी से ही जगमग होगी। अग्रवाल ने चुटीले अंदाज में कहा कि जब हमारे भीतर रामायण का अभाव हो जाता है तब जीवन में महाभारत घटित होती है ।विशेष वक्ता डॉक्टर जे.एल. आर्य ने कहा कि सौम्य आचरण वाले श्री राम का चरित्र सदा- सर्वदा अनुकरणीय है ।
       परिचर्चा एवं भाषण प्रतियोगिता के समापन अवसर पर महाविद्यालय की जनभागीदारी केअध्यक्ष श्री नरेश चंदवानी ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि राम निर्गुण ब्रह्म की ही सगुण अभिव्यक्ति थे। प्रोफेसर संतोष मालवीय ने अपने संबोधन में देव- दुर्लभ मानव भव की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसके सार्थक उपयोग पर बल दिया। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान राज पाटीदार बी बी ए द्वितीय वर्ष, द्वितीय क्रम पर रविराज बीएससी द्वितीय वर्ष  एवं तृतीय स्थान पर दीक्षा खिची बी ए द्वितीय वर्ष रही ।कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रहलाद भट्ट ने एवं आभार प्रोफेसर सोहन यादव ने माना इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की ।