प्रदेश

परोपकारी बने, परोपकार का जीवन श्रेष्ठ जीवन है- साध्वी श्री रमणीककुंवरजी

महावीर अग्रवाल

मंदसौर २७ अगस्त ;अभी तक ;   मनुष्य भव मिला है तो हमें अपने जीवन में श्रेष्ठ कर्म करना चाहिये। दिन दुखियों की सेवा करना, दान पुण्य करना परोपकार की श्रेणी में आता है। यदि हम धन सम्पत्ति से श्रेष्ठ है तो अवश्य ही हमें दान पुण्य में अग्रणी रहना चाहिये जो लोग धन सम्पत्ति में कमजोर है वे शारीरिक श्रम के द्वारा सेवा के द्वारा परोपकार का कार्य कर सकते है। इसलिये जीवन में परोपकारी बने, परोपकार का जीवन श्रेष्ठ है, अपने जीवन में परोपकार का महत्व समझे।

उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने मंगलवार को नईआबादी शास्त्री कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में कहें। आपने धर्मसभा में परोपकार का महत्व बताते हुए  कहा कि जो व्यक्ति दूसरों के लिये जीता है वही व्यक्ति श्रेष्ठ है। दूसरों को सुख देने से सुख मिलता है दूसरों को दुख देने से दुख मिलता है।

जन्माष्टमी पर्व मनाया- नईआबादी शास्त्री कॉलोनी में जन्माष्टमी पर्व कल धूमधाम से मनाया गया। साध्वी श्री रमणीककुंवरजी, श्री चंदनाश्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा व निश्रा में जैन दिवाकर महिला मण्डल नईआबादी के तत्वावधान में बनो श्री कृष्ण फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें 2 माह से लेकर 12 वर्ष की आयु के बच्चों ने सहभागिता की। बच्च श्री कृष्ण के बाल स्वरूप में आये और उन्होंने कृष्णजी का अभिनय किया। प्रतियोगिता में शामिल होने वाले बच्चों को पुरस्कार भी महिला मण्डल नईआबादी की ओर से प्रदान किये गये। इस अवसर पर जैन स्थानक को कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हेतु विशेष रूप से सजाया गया। इस अवसर पर महिला मण्डल के पदाधिकारीगण व सदस्यों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। यह कार्यक्रम लगभग 2 घण्टे तक आयोजित हुआ और इसमें बच्चों ने अपनी प्रतिभा का भी प्रदर्शन किया।

Related Articles

Back to top button