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आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का समाधी, पन्ना सहित देशभर मे शोक की लहर

दीपक शर्मा

पन्ना १८ फरवरी ;अभी तक; जन जन के संत परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने बीति रात्रि संल्लेखना पूर्वक समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ के डोंगरगढ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली है। उनका अंतिम संस्कार 18 फरवरी, रविवार को दोपहर 1 बजे कर किया गया है। उनके समाधि-मरण की खबर से देश भर मे शोक की लहर है। आचार्य श्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले दो दिन से उन्होंने अन्न जल का पूरी तरह त्याग कर दिया था।

आचार्य श्री अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया है। समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनि श्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज संघ सहित उपस्थित थे। देश भर के जैन समाज और आचार्यश्री के भक्तों ने उनके सम्मान में एक दिन के लिए अपने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। सूचना मिलते ही आचार्य श्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ के पंहुच गये। आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। आचार्य श्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं।

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