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वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान दास दुबे का 99 वर्ष की आयु में निधन

पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ 8 मई ;अभी तक; जिले के वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान दास दुबे 99 का बुधवार को यहाँ निधन हो गया !अपने अंतिम समय में वे अपने गांव ब्रषभान पुरा से यहाँ टीकमगढ़ में अपने पुत्र लालाराम के साथ रहने आ गए थे! उनके भरे पूरे परिवार में    दो बेटे और चार बेटियां हैं उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई का वर्ष 2018 में और उनके एक बेटे सुरेंद्र दुबे का निधन 2019 में  हो चुका है ! उनका जन्म १८ जुलाई 1925 में हुआ था!
                                   मोहनगढ़ तहसीलदार अरविन्द सिंह दांगी ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।  मुखगिनी उनके बेटे लालाराम ने दी! उन्होंने बताया कि उस मौक़े पर पुलिस और प्रशासन के अलावा उन्हें चाहने वाले सैकड़ों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने उनके  गांव में मौजूद थे!
                                 मोहनगढ़ तहसीलदार अरविन्द सिंह यादव ने बताया कि भगवान दास दुबे का जिले के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में 112वें नंबर पर नाम दर्ज था!उन्होंने ओरछा सेवा संघ के वैनर तले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किये और पकड़े जाने पर उन्होंने महीनों जेल में फिरंगी सरकार की यातनाएं झेली! जेल से बाहर आते ही वे पुनः उस सरकार के खिलाफ आंदोलनों में कूद पड़ते थे!
                          टीकमगढ़ जिले में चंदेल कालीन तालाबों को नदियों से जोड़ने के लिए उन्होंने न सिर्फ कई आंदोलन किये बल्कि इसके लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के लिए हमेशा पत्राचार करते रहे।  जिले में संचालित हरपुरा बांध परियोजना का श्रेय भगवान दास दुबे को जाता है वे हमेशा जिले के किसानों के, और बुंदेलखंड के विकास के लिए तरह तरह के प्रस्ताव बनाकर प्रधानमंत्री समेत केंद्र के सम्बंधित मंत्रियों से पत्राचार करते थे इसीलिए वे स्थानीय लोगों के बीच   चिठ्ठी वाले दादा के नाम से प्रसिद्ध थे!

 

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