लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि 25 हजार से बढ़कर 30 हजार रूपए प्रतिमाह होगी : मुख्यमंत्री श्री चौहान
भोपाल २६ जून ;अभी तक; मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आपातकाल में भी लोकतंत्र सेनानियों ने भारत माता का जयघोष किया। सत्ताधीशों ने अपने आप को सत्ता में बनाए रखने के लिए लोकतंत्र का गला घोंटा गया, परन्तु लोकतंत्र सेनानियों ने बिना परिणामों की परवाह किए यातनाएँ और कष्ट सहे। उन्होंने देश की आजादी की तीसरी लड़ाई लड़ी। इस संघर्ष का सम्मान हमारा कर्तव्य और धर्म है। मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को प्रदान की जा रही 25 हजार रूपए की सम्मान निधि को बढ़ाकर 30 हजार रूपए प्रतिमाह किया जाएगा। जो लोकतंत्र सेनानी एक माह से कम अवधि के लिए बंदी रहे हैं, उनकी सम्मान निधि 8 हजार रूपए से बढ़ाकर 10 हजार रूपए की जाएगी। दिवंगतों के परिवारों को दी जाने वाली निधि भी 5 हजार से बढ़ाकर 8 हजार रूपए की जाएगी। लोकतंत्र सेनानियों को दिल्ली प्रवास के दौरान मध्यप्रदेश भवन में ठहरने की सुविधा होगी। जिलों के विश्राम गृह और रेस्ट हाऊस में वे 2 दिन तक 50 प्रतिशत शुल्क देकर रह सकेंगे। साथ ही सभी तरह की बीमारियों का सम्पूर्ण इलाज राज्य शासन द्वारा कराया जाएगा। शासकीय कार्यालयों में उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार हो, इसके लिए विशेष निर्देश जारी किए जा रहे हैं। लोकतंत्र सेनानियों को राज्य शासन की ओर से ताम्रपत्र प्रदान किए गए थे, जिन्हें ताम्रपत्र मिलना शेष हैं उन्हें भी तत्काल ताम्रपत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। लोकतंत्र सेनानी किसी भी तरह के कष्ट और परेशानी में अपने आप को अकेला न समझें, राज्य सरकार उनके साथ है।
लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आपातकाल में कई परिवार तबाह हुए। यह वह दौर था जब कोई अपील- कोई वकील- कोई दलील नहीं सुनी जाती थी। लोकतंत्र सेनानियों ने एक सिद्धांत, विचारधारा और संगठन के लिए यातनाएं सहीं, यह उस विचार का सम्मान था, जिसने लोकतंत्र को बचाया। आज इसी विचारधारा का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की शान को बढ़ाया है। वर्तमान में भी लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। जिनकी लोकतंत्र में आस्था नहीं है, जिनका भारतीय संस्कृति- मूल्यों और परम्पराओं से कोई लेना-देना नहीं है, उनसे सतर्क रहना जरूरी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने संबोधन में बाबा नागार्जुन और श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपयी जी की कविताओं की पंक्तियों का उल्लेख भी किया।
देश की धरोहर हैं लोकतंत्र सेनानी
सामान्य प्रशासन मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि आपातकाल की स्थिति में लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष से बदलाव आया था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ही मीसाबंदियों को सम्मान देने की पहल की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विक्रम वर्मा ने कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिवारों का मनोबल तोड़ने के लिए जो भी किया जा सकता था किया गया। सेनानियों के साथ-साथ उनके परिवारों ने जो परेशानियां झेलीं उसके लिए परिवार के सदस्य प्रशंसा और अभिनंदन के पात्र हैं। राष्ट्र को अधिक सबल बनाना हमारा संकल्प है और हम आज भी इस दिशा में कार्यरत हैं। पूर्व केंन्द्रीय मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया ने कहा कि आपातकाल द्वारा लोकतंत्र को समाप्त करने की साजिश को ध्वस्त करने के लिए लगभग डेढ़ लाख लोगों ने आंदोलन किए और गिरफ्तारियां दीं। वह सत्य का सत्ता से संघर्ष था। लोकतंत्र को सार्थक करने के लिए बड़ी संख्या में लोग प्राण-प्रण से जुटे रहे। राज्य सभा सदस्य श्री कैलाश सोनी ने कहा कि लोकतंत्र सेनानी देश की धरोहर हैं। जिन्होंने देश और प्रजातंत्र की पुर्नस्थापना के लिए कार्य किया। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष श्री तपन भौमिक उपस्थित थे। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री भरत चतुर्वेदी ने आभार माना। संचालन श्री सुरेंद्र द्विवेदी ने किया।
पुस्तक “मैं मीसाबंदी-आपातकाल व्यथा-कथा- 19 महीने” का किया विमोचन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास परिसर में हुए सम्मेलन का दीप जला कर शुभारंभ किया। वंदे-मातरम गान तथा माँ भारती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों का अंगवस्त्रम पहना कर स्वागत किया तथा उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट किए। मुख्यमंत्री ने आपातकाल की कटु स्मृतियों पर श्री रमेश गुप्ता की पुस्तक “मैं मीसाबंदी-आपातकाल व्यथा-कथा- 19 महीने” का विमोचन किया।