प्रदेश
रूपये दुगना करने का झासा देकर 18.37 लाख रूपये की ठगी, एक महिला सहित तीन पर केस दर्ज
मयंक शर्मा
खंडवा २५ अक्टूबर ;अभी तक; डिजिटल मार्केटिंग नामक फर्जी कंपनी खोलकर इंवेस्टमेंट वालों से दावा किया कि वह रुपए दोगुना करके देगा। खंडवा के युवकों से भी कंपनी ने संपर्क किया। पहले तो एक-एक लाख रुपए जमाकर रुपए दोगुने करवा लिए। रुपए दोगुना हुए तो लालच में तीन लड़कों ने 18 लाख 37 हजार रुपए दांव पर लगा दिए। इन्हें न मूल रकम मिली न ही लाभांश।
खंडवा कोतवाली पुलिस ने यहां इंदौर के साउथ तुकोगंज की इस कंपनी के संचालक समेत तीन लोगों पर केस दर्ज किया है। थाना प्रभार बीएल राठौर ने बताया कि मामले में दिलचस्प बात ये है कि रुपए लगाने वाले युवक घर में चोरी करते हुए पकडे गए थे। वह माता-पिता का रुपया चुराकर कंपनी में रूपये दाव पर लगा रहे थे। इनमें से एक युवक की बहन ने भाई को रुपया चुराते हुए पकड़ लिया तो पूरा भंडाफोड़ हो गया। ये धोखाधड़ी एक-दो दिन की नहीं बल्कि महीनों से चली आ रही है।
कोतवाली के एसआई व जांच अधिकारी सुशा परते ने बताया कि आरोपी धनंजय पिता अजय शर्मा निवासी इंदौर (मूलत निवासी उज्जैन), लक्की पिता सूर्यकांत शर्मा निवासी सिविल लाइन व हिंदूजा कॉलोनी निवासी एक युवती के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।
मामले में शिकायत करने वाले पुलिस लाइन में रहने वाले यश अहिरवार और उसके दो दोस्त सागर दीक्षित व अभय वर्मा हैं। मामला यू है कि धनंजय ने साउथ तुकोगंज में डिजिटल मार्केटिंग नामक एक कंपनी खोली। इसमें वह ग्राहकों को रकम के एवज में दोगुना लाभ देने का वादा कर दिया उनसे रुपया इंवेस्ट करवाता था। धनंजय के साथ खंडवा का लक्की पिता सूर्यकांत शर्मा निवासी सिविल लाइन व हिंदूजा कॉलोनी निवासी लड़की भी जॉब करती थी। लक्की और यश आपस में दोस्त है। लक्की यश से मिला और उससे रुपए लगाने के लिए कहा।
पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ताओ ने उन्हे बताया कि यश और उसके साथियों ने पहले एक-एक लाख रुपए इंवेस्टमेंट किए। कंपनी ने जब लाभ कमाकर दिया तो यश ने 10 लाख 39 हज़ार रुपए लगाए। इसी तरह दो दोस्तों ने भी एकमुश्त रकम लगा दी। इस तरह इन्होने 18 लाख 37 हजार रुपए में लगा दिए लेकिन न तो उसकी मूल रकम मिली न ही लाभांश। धनंजय पर दबाव बनाया तो उसने बैंक ऑफ इंडिया का तीन लाख रूपए का चेक दिया, जो बाउंस हो गया।
आरापी युवती के परिजन ने पुलिस से कहा कि धनंजय ने ही पूरा फर्जीवाड़ा किया है। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उनकी बेटी इंदौर में रहकर पढ़ रही है। ऐसे में वह अपना खर्च उठाने के लिए धनंजय की कंपनी में जॉब करने लगी। यश और उसके दोस्तों ने रुपए लगाए थे तो दोगुने का लाभ भी वे ले चुके है। बाद में फिर रुपया लगाया तो धनंजय रूपये लेकर फरार हो गया। मेरी बेटी को भी धन्न्जय ने फंसा दिया है। जबकि उसका लेना-देना नहीं है। जिन्होंने केस दर्ज करवाया असल में वे घर से रुपए चुराकर कंपनी में लगा रहे थे। जब रंगे हाथ पकड़ाए तो उनके परिजन को पूरा मामले का पता चला।