सोनेवानी अभ्यारण गठन के प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेश को वापिस लिये जाने पर आपत्ति

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ५ अगस्त ;अभी तक; नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष श्री पीजी नाजपांडे ने प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्ड लाइफ) मध्यप्रदेश को पत्र प्रेषित करते हुए बालाघाट जिले के सोनेवानी अभ्यारण गठन के प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेश को वापिस लिये जाने हेतु अपनी आपत्ति दर्ज कराई गई।

                        श्री पीजी नाजपांडे ने प्रेषित पत्र में उल्लेख किया है की वन मंत्रालय के उपसचिव अनुराग कुमार ने 10 जुलाई 2023 को पत्र द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी को सूचित किया है की सोनेवानी अभ्यारण के गठन का प्रस्ताव निरस्त किया जाता है। निरस्त किये जाने संबंधी उक्त आदेश के विरूद्ध उन्होने निम्न दर्शित आपत्ति प्रस्तुत की है।

                           सोनेवानी वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र मध्यप्रदेश राजपत्र अधिसूचना एफ-15-12-2016- दिनांक 14 सितंबर 2016 का प्रकाशन 23 सितंबर 2023 में घोषित है सोनेवानी अनुभव क्षेत्र का क्षेत्रफल 182.32 हेक्टेयर घोषित है जो कान्हा टाइगर रिजर्व एवं  पेंच   टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिसमें वन्य प्राणियों की उपस्थिति हमेशा बनी रहती है।

नेशनल टाइगर अर्थोरिटी ने कॉरिडोर की मेपिंग की है जिसमें कान्हा तथा पेंच टाइगर रिजर्व के बीच बालाघाट जिले का कॉरिडोर महत्वपूर्ण है यह बताया गया है। इसी कारण सोनेवानी अनुभव क्षेत्र कॉरिडोर महत्वपूर्ण है।
टाइगर तथा वन्य प्राणी संरक्षण कानून के तहत किसी भी कॉरिडोर में खनन,निर्माण आदि की पूर्णतः मनाही है।
लेकिन सोनेवानी अभ्यारण क्षेत्र के संरक्षित वन क्षेत्र में विगत वर्ष 2015 से 2060 की अवधि तक वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत भारत सरकार के पर्यावरण वन्य एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा परियोजना प्रोजेक्ट में मैगनीज ओर उत्खनन हेतु लीज की स्वीकृति दी गई है इस हेतु वन्य कक्षों के वन क्षेत्र में वन भूमि व्यपवर्तित की गई है।

सोनेवानी अभ्यारण बनने से खनन पर विपरीत प्रभाव पडने की संभावना में खनन लाबी का भारी दबाव प्रदेश सरकार पर था। इसी दबाव के कारण सोनेवानी अभ्यारण के गठन का प्रस्ताव निरस्त किया गया है।

श्री नाजपांडे ने उल्लेखित बिन्दुओं के आधार पर 5 अगस्त 2023 को पत्र प्रेषित करते हुये लिखा है की  सोनेवानी अभ्यारण गठन के प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेश को तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा इस आपत्ति पर जल्द से जल्द कार्यवाही नहीं गई तो उच्च न्यायालय की शरण लेनी पडेगी।